छत्तीसगढ़ सरकार की बड़ी घोषणा, ऑनलाइन होगी कोल परिवहन और परमिट लेने की प्रक्रिया

सीएम विष्णुदेव साय की सदन में बड़ी घोषणा: कोल परिवहन की एनओसी और परमिट अब से ऑनलाइन

रायपुर। कांग्रेस की सरकार में हुए कथित कोयला लेवी घोटाले को रोकने के लिए भाजपा की विष्णुदेव सरकार ने बड़ा फैसला किया है। अब लेवी की वसूली को रोकने के लिए सरकार ने कोल परिवहन और परमिट लेने की प्रक्रिया ऑनलाइन करने की घोषणा की है।

विधानसभा में आज भाजपा विधायक राजेश मूणत ने ध्यानाकर्षण में यह मुद्दा उठाया। जिस पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बताया कि पूर्व की कांग्रेस सरकार ने कोल परिवहन और परमिट लेने की प्रक्रिया ऑफलाइन कर दी थी। इस प्रक्रिया को अब बंद करते हुए यह प्रक्रिया ऑनलाइन की जा रही है।

गौरतलब है कि ED ने छत्तीसगढ़ में कोल लेवी के नाम पर 540 करोड़ रूपये वसूले जाने का मामला उजागर किया था। इस मामले में कई प्रशासनिक अधिकारी और दलालनुमा लोग जेल की हवा खा रहे हैं। अब इस तरह की वसूली को रोकने के लिए सरकार ने जो कदम उठाया है उससे कोयला कारोबारी और ट्रांसपोर्टरों को बड़ी राहत मिलेगी।

किस वजह से ऑफलाइन की गई प्रक्रिया
राजेश मूणत ने कहा कि ऐसी क्या वजह थी कि ऑनलाइन प्रक्रिया को ऑफलाइन किया गया? क्या डायरेक्टर ऑफलाइन करने के लिए अधिकृत हैं? क्या भारसाधक मंत्री से अनुमति ली गई? 15 साल में नये-नये तरीके से भ्रष्टाचार किया गया। क्या ये केस सीबीआई को सौंपा जाएगा, और ऑफलाइन प्रक्रिया को ऑनलाइन करेंगे? सीएम ने कहा कि खनिज विभाग के संचालक ने सरकार से अनुमोदन नहीं लिया था। हमारी सरकार सुशासन के लिए संकल्पित है। मैं तात्कालिक संचालक की ओर से वर्ष 2020 में लिए गए फैसले को रद्द करता हूं।

पिछले साल दायर किया था चार्ज शीट
तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार के दौरान कोयला ट्रांसपोर्टेशन में लेवी वसूलने के मामले की जांच ईडी कर रही है। मामले में पूर्व मुख्यमंत्री की उप सचिव रहीं सौम्या चौरसिया, निलंबित आईएएस समीर बिश्नोई, रानू साहू, सूर्यकांत तिवारी, लक्ष्मीकांत तिवारी, सुनील अग्रवाल और निखिल चंद्राकर जेल में बंद हैं। मामले में ई़डी ने पहला चार्जशीट पिछले साल नौ दिसंबर को दायर किया था।

कार्टेल ने किया 540 करोड़ का घोटाला
ईडी का दावा है कि छत्तीसगढ़ में करीब 540 करोड़ रुपये का कोयला घोटाला हुआ है। इस पैसे का उपयोग राजनीतिक खर्च, बेनामी संपत्तियों को बनाने और अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए किया गया है। ईडी ने अपनी जांच में पाया कि छत्तीसगढ़ में कोल लेवी के लिए अधिकारियों, व्यापारियों और राजनेताओं का एक कार्टेल था, जो कोयला परिवहन के जरिए प्रति टन 25 रुपए की वसूली किया करता था।

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