आई फ्लू फैलाव हेतु मौसम अनुकूल बना, बचाव के उपक्रम इस्तेमाल करें- चिकित्सक
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बचाव ही उपाय, रोगी घर पर रहें
रायपुर। राजधानी समेत समूचे प्रदेश में डेढ़- दो दिन से हो रही रिमझिम बारिश ने वायरसों के फैलाव हेतु अनुकूल मौसम बना दिया है। लिहाजा आई फ्लू या लाल आंख रोग के मरीजों की संख्या बढ़ सकती है।
नेत्र चिकित्सकों का कहना है कि वर्तमान मौसम नेत्र रोग के फैलाव वास्ते अनुकूल है। जिसे मद्देनजर रखते हुए लोग सजग रहें।कुछ एहतियात बरतना आवश्यक है। वरना चपेट में आने से नाहक उसे 7 दिन खराब हो सकता है। चिकित्सकों ने सुझाव दिया है कि जिन्हे आई फ्लू या लाल आंख की बीमारी लगी है। वे समय-समय पर साफ पानी से आंखें धोए। दवा नियमित अंतराल में डालें। जो कोई भी दवा डाल रहे हैं। वे ग्लोबस (दस्ताने) पहनकर दवा डाले। जिसके बाद हाथ साबुन से धोए।
आंखें जबरन न छूए। इस मौसम में उमस के चलते आंखें खुजलाती है तो हाथ -ऊंगली से न रगड़े। जिन्हे आंखें आई हैं (रोगी) वे घर पर अलग-थलग रहें। उसका रुमाल, स्कार्फ, तौलिया, नेपकिन, गमछा, कपड़े, बिस्तर दूसरा इस्तेमाल ना करें। रोगी- काला चश्मा पहने। हाथ न मिलाए न गले मिले। हैंडिल, दरवाजे की सिटकनी, सायकल, कार-बाइक का हैंडिल न छूए। ऑटो में सफर कर रहे हैं तो ओवर हैण्ड रेस्ट यूज न करें। दुकान में फल-सब्जी वाले दूध-ब्रेड, पेपर वालो को वॉच करें। यदि उन्हें रोग हो तो न ले। या लेकर तुरंत हाथ साबुन से धोए। डाक्टर से पूछ कर दवा डाले। सार्वजनिक या भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाना हुआ तो सावधानी बरते। चाय-नाश्ता करने जाने पर देख ले (वॉच करें) कि दुकानदार, ठेले वालो को आई फ्लू तो नहीं हुआ है। आई फ्लू वाले की आंखें थोड़ी दूर से देखने पर यह रोग नहीं फैलता। संपर्क बनाने यानी स्पर्श होने पर ही फैलता है। आमतौर पर तीन-चार दिन में फ्लू खत्म हो जाता है। आपके आसपास इलाके में अगर शिविर लगा जांच हो रही है तो जांच करा लें।