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इंजीनियरिंग कॉलेज में विद्यार्थियों के लाले पड़े

शून्य नंबर पाने वाले विद्यार्थियों की भी रुचि कम

रायपुर। प्रदेश के तमाम इंजीनियरिंग कालेजों में हजारों सीट खाली हैं, आलम यह है कि इंट्रेस एक्जाम में शून्य नंबर पाने वालों के लिए द्वार खुला हुआ है पर स्टूडेंट प्रवेश नहीं ले रहे हैं। 15 हजार से अधिक सीट खाली बताई हैं।

प्री. इंजीनियरिंग टेस्ट एक्जाम की मेरिट लिस्ट आधार पर प्रदेश के तमाम शासकीय-आशासकीय, अभियांत्रिकीय महाविद्यालयों में प्रवेश देना था। विद्यार्थियों ने पूर्व टेस्ट एक्जाम दिया। जिसमें से आधे विद्यार्थी ही प्रवेश हेतु आगे आए। बावजूद उनमें से बहुत से विद्यार्थी प्रवेश नहीं ले रहे हैं। इसलिए मेरिट लिस्ट छोड़ शून्य प्राप्तांको वाले विद्यार्थियों को भी प्रवेश का मौका दिया जा रहा है। बावजूद विद्यार्थी रुचि नहीं दिखा रहें हैं। आशासकीय महाविद्यालयों की बदतर स्थिति हैं। जहां दर्जन भर विद्यार्थी भी नहीं मिल पा रहे हैं।

शासकीय महाविद्यालयों में से रायपुर इंजीनियरिंग कालेज की 81 प्रतिशत, बिलासपुर शासकीय इंजीनियरिंग कालेज की 67 एवं जगदलपुर स्थित शासकीय इंजीनियरिंग कालेज में महज 56 प्रतिशत सीटे भर पाई हैं। जबकि तीनों में प्रवेश अध्यापन एवं अन्य शुल्क, प्रायवेट कालेजों की तुलना में काम है। प्रायवेट कालेजों में विद्यार्थियों के लाले पड़ गए हैं। आलम यह है कि संचालक मंडल कालेज बंद करने की सोचने लगे हैं।

खैर ! एक वह दौर था जब इंजीनियरिंग कालेजों में प्रवेश के लिए इंट्रेस एक्जाम अच्छे नंबरों से पास करने के बावजूद विद्यार्थियों को नाको चने चबाना पड़ता था। पॉलिटेक्निक कालेजों तक में प्रवेश कठिन था। राज्य निर्माण बाद जगदलपुर शासकीय इंजीनियरिंग कालेज समेत खुला। बाद में प्रायवेट इंजीनियरिंग कालेजों की बाढ़ आ गई। पर कालांतर में जो सूखा पड़ना शुरू (प्रवेश घटना) हुआ तो वह रुकने के बजाय जारी रहा है। पैसे वाले बड़े उद्योगपतियों ने निवेश किया था- यह सोच कर कि उन्हें इंजीनियर मिलेंगे पर अब वही स्वप्न-दुस्वप्न बन रहा है। कालेज बिल्डिगों को मैनेज करना ही घाटे का सौदा हो गया है। खाली पीली स्टाफ को पैसा कब तक जेब से देंगे।

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