Chandrababu Naidu सुलझे एवं परिपक्व नेता, उनके सियासी सफर पर एक नजर

Chandrababu Naidu : चंद्रबाबू नायडू ने चौथी बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लिया।
Chandrababu Naidu रायपुर। चंद्रबाबू नायडू आज देश के शीर्ष राजनेताओं में शुमारी करते हैं। हाल ही में आंध्रप्रदेश विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी तेलुगू देशम पार्टी(TDP) को सहयोगी दलों के साथ मिलकर भारी सफलता मिली। उन्होंने चौथी बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह शपथ ग्रहण समारोह का हिस्सा बने। उनकी पार्टी के समर्थन से पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दिल्ली में एनडीए की लगातार तीसरी बार सरकार बनी हैं। इससे चंद्रबाबू नायडू का ग्राफ एनडीए में और ऊपर हो गया है। पीएम मोदी उन्हें साथ बनाए रखेंगे।आइए इस कद्दावर नेता के बारे में थोड़ा जानें-
आमतौर पर दक्षिण में नारा चंद्रबाबू नायडू को शार्टनेम सीबीएन के नाम से जाना जाता है। या प्रसिद्धि मिली है पिछले दो-तीन दशकों से वे प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ के तौर पर गिने जाते हैं। एक बार उनका नाम प्रधानमंत्री पद के लिए सामने आया पर चंद्रबाबू ने कृतज्ञता पूर्वक इंकार कर दिया था। 2014 से 2019 तक वे विभाजित आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। इसके पूर्व वे अविभाजित आंध्रप्रदेश में सन 1995 से 2004 तक मुख्यमंत्री रहे थे। उन्होंने सन 2004 से 2014 एवं 2019 से 2024 के दौर में बतौर विपक्षी नेता के तौर पर आंध्रप्रदेश में काम किया। आंध्र की राजनीतिक परिदृश्य को आकार देने में उनका महत्वपूर्ण योगदान है।
इस वक्त वे तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। दल के मध्य प्रभावशाली भूमिका में रहे हैं। माना जाता है कि उनके कार्यकाल में आंध्र प्रदेश विकास और आधुनिकीकरण की सीढ़ियां तेजी से चढ़ा। प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया। चंद्रबाबू का राजनीतिक जीवन 1970 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ शुरू हुआ। 1978 में विधायक,1980 से 1982 तक राज्य मंत्री रहे। बाद में पार्टी बदली और फिर TDP में शामिल हो गए। जिसकी स्थापना उनके ससुर नंदमुरी तारक रामाराव ने की थी। उन्होंने 1989 से 1995 तक विधायक के तौर पर कार्य किया इसी बीच वे हाईप्रोफाइल विपक्ष नेता बन गए।
बतौर मुख्यमंत्री अपने पहले दो कार्यकालों में नायडू के सार्वजनिक छवि आर्थिक सुधारक और सूचना प्रौद्योगिकी आधारित आर्थिक विकास के प्रस्तावक की थी। उनकी नीतियों ने हैदराबाद में आधुनिकीकरण और निवेश लाया। राष्ट्रीय राजनीति के तौर पर देखे तो उनकी भूमिका 1996 में संयुक्त मोर्चा के संयोजक के रूप में रही। 1999 में एनडीए का समर्थन किया। जब भाजपा नेतृत्व कर रही थी। TDP के पास 29 सीटें थी। नायडू के प्रतिष्ठा बढ़ी। सितंबर 2023 में कौशल विकास मामले में कथित तौर पर संलिप्तता के आरोप में सीआईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया। पर नवंबर 2023 में उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी।
चंद्रबाबू कृषि परिवार से आते हैं। उनके एक छोटे भाई नारा राममूर्ति नायडू एवं दो छोटी बहनें भी हैं। उनके गांव में कोई स्कूल नही था। लिहाजा, पांचवी तक शेषपुरम और दसवीं तक चंद्रगिरी सरकारी स्कूल में पढ़े। फिर वेंकटेश्वर कॉलेज तिरुपति से स्नातक(बीए) किया।
वही से एमए अर्थशास्त्र किया। यही से उन्होंने छात्र जीवन में राजनैतिक की शुरुआत की। महज 28 की उम्र में विधायक एवं 30 की उम्र में मंत्री बने। सिनेमेटोग्राफी मंत्री के तौर पर वे लोकप्रिय फिल्म स्टार रामाराव के संपर्क में आए। उन्होंने उनकी दूसरी बेटी भुवनेश्वरी से शादी की। रामाराव यानी एनटीआर की पार्टी TDP के विधायक से 1983 में हार के बाद चंद्रबाबू ने TDP ज्वाइन किया। जल्दी ही पार्टी में उनका ओहदा (कद) बढ़ने लगा। 1986 में महासचिव बने। 1989 में पार्टी के समन्वयक बने। 1994 में रामाराव की सरकार में वित्त राजस्व मंत्री बने। पर माह सितंबर 1995 में 45 वर्षीय चंद्रबाबू नायडू ने सफल तख्ता पलट (रामाराव के खिलाफ) मुख्यमंत्री बन गए। उन्होंने TDP को और ऊंचाई दी। पूरे 5 वर्ष सीएम रहे। 1999 में पूर्ण बहुमत से फिर सरकार बनाई। भाजपा के सहयोगी दलों में वे शीर्ष पर जा पहुंचे। 29 संसदीय सीट जीतकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी व गृहमंत्री, पूर्व डिप्टी पीएम लालकृष्ण अडवाणी के चाहते नेता रहे। दोनों प्रमुख नेताओं ने भी चंद्रबाबू नायडू का सम्मान कर कद बढ़ाया।
सन 2003 में तिरुपति में पीपुल्स वार ग्रुप द्वारा उनकी हत्या का प्रयास किया गया था। तब लैंड साइन विस्फोट में चंद्रबाबू बच गए थे। मामूली चोटों के साथ बच निकलना चमत्कारी माना गया।पीडब्बलूजी ने उन पर विश्व बैंक एजेंट होने का आरोप लगाया था। सन 1996 से 2004 के बीच भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के वक्त उनकी राष्ट्रीय स्तर पर अच्छी भागीदारी रही है। बीच में 1996 से 1998 के मध्य संयुक्त मोर्चा संयोजक रहे। इसी मोर्चा के प्रधानमंत्री बने थे देवगौड़ा,आई के. गुजराल। मोर्चा का मुख्यालय तब आंध्रप्रदेश भवन नई दिल्ली में था।
बहरहाल, चंद्रबाबू नायडू पिछले कई दशक से राष्ट्रीय नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं। भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए को अपने 16 सांसद के साथ महत्वपूर्ण समर्थन दे रहे हैं। पीएम मोदी के निकटवर्ती बने हुए हैं। चंद्रबाबू के सामने इन दिनों नई राजधानी अमरावती को विकसित करना है, जिसका उन्होंने वादा जनता से कर रखा है। उधर पीएम मोदी नायडू के व्यक्तित्व का लाभ लेकर दक्षिण में भाजपा की पकड़ बनाने प्रयासरत है। इसलिए भाजपा ने नायडू को आंध्रप्रदेश से समर्थन दे रखा है। नायडू सुलझे हुए परिपक्व नेता है उनकी जमीनी पकड़ है। चीजों को समझते हैं और भरोसेमंद भी है। कदाचित उनकी परिपक्वता सुलझे एवं प्रसिद्धि को देख पीएम मोदी उन्हें अपने साथ जोड़े रखेंगे।
(लेखक डा. विजय)