वक्त आ गया है पुलिस टेढ़ी उंगली से..!

रायपुर। राजधानी समेत समूचे प्रदेश में पुलिस-प्रशासन के सक्रिय होने, उड़न दस्ता के दौरा करने के बावजूद अगर बदमाश चोर-उच्चके, उठाईगिरी आदि बाज नहीं आ रहे हैं। तो वक्त आ गया है कि पुलिस टेढ़ी उंगली कर घी निकाले।
देखने में आ रहा है कि हर हफ्ते चार-छह दिन में किसी न किसी इलाके से चाकूबाजी, मारपीट, छीना झपटी, चोरी, उठाई गिरी आदि की खबरें आ रही हैं। तो यही स्थिति प्रदेश के दीगर कस्बों, शहरों में भी देखने को मिलती रहती है। पुलिस-प्रशासन सक्रिय नजर आता है। फिर क्यों घटनाक्रम नहीं रुक रहा है। चूक कहां-किस स्तर पर हो रही हैं। शहर के मध्य पुराना बस स्टैंड, मुख्य डाकघर के पीछे, सीएसपी दफ्तर के पीछे एक शराब दुकान के पास चाकूबाजी शुक्रवार शाम को घटी।
उड़न दस्ता टीमें दौरे के दौरान सभ्य नागरिकों, आम चलते लोगों या रेंडम सिस्टम से घरों में जाकर उनका भरोसा क्यों नहीं हासिल करती। इस तरीके के प्रयोग से लोग दहशत से बाहर आयेगे। वे पुलिस को जरूरी गोपनीय सूचना दे सकते हैं। पर पुलिस यह सोचे कि लोग उसके पास आकर खबर देंगे- वे नाम गोपनीय रखेंगे। तो विदित हो कि सभ्य व्यक्ति कतई नहीं चाहता (चाहेगा) कि वह या परिवार बदमाश की नजरों में आए। या मुखबिर समझा जाए। या पुलिस के पास जाने की दशा में बदमाशों को नजर आएं।
उड़नदस्ता एवं पुलिस-प्रशासन बेशक ठेले, खोमचे, पान ठेले, होटल वाले ऑटो रिक्शा वाले या फिर छूट भैय्ये बदमाशों आदि से मुखबिरी कराते हों- पर ऐसे मुखबिर एक हद तक(अपने स्वार्थ तक) जानकारी देते हैं। यही वजह से ही आए दिन घटनाक्रम उन्हीं या किसी और जगह पर घटते हैं। जहां पुलिस का मुखबिर रहता है।
घटनाक्रमों पर शोध परख नजर रखने वालों का कहना है कि पकड़े जाने वाले तमाम बदमाशों का कई बार इलाकों में जुलूस ढोल (वास्तव में) पीटकर निकालना चाहिए। हाथ पर माइक देकर लगातार माफी मांगते रहना चाहिए। इस बीच पुलिस स्वयं भी माइक से सभ्य लोगों को घर से बाहर आकर जुलूस देखने की अपील करना चाहिए। बदमाशों की सूची हर हफ्ते- संबंधित वार्डो-मोहल्ले, कालोनी में हफ्ते पूर्व सूचना देकर कम से कम 2 दिन- कई जगहों पर लगानी चाहिए। यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिए कि बदमाश किसी राजनैतिक दल, सामाजिक-सांस्कृतिक, व्यापारिक या शैक्षाणिक संगठन से जुड़ा तो नहीं है। अगर हां तो उस संगठन-संस्था-दल का नाम माइक से पुलिस प्रशासन आमजन को दें। खुलासा करें जिससे कि संगठन गलत तत्वों को बाहर कर सकें।भले ही मजबूरन।