हाट-बाजार में पोला पर नादिया बैल, जाता-चुकिया की भरमार- जगह-जगह फुटपाथी स्टाल … !

कुम्हार सपरिवार पहुंचे हैं
रायपुर। राजधानी समेत समूचे प्रदेश के हाट-बाजारों में पोला पर्व पर मिट्टी के बने नादिया बैल, चूल्हा, बेलन-चौकी, कढ़ाई, कड़छुल आदि बिकने पहुंच गए है। कुम्हार परिवार के लोग जगह-जगह जमीन पर बोरा- दरी बिछाकर दुकान सजाए हैं। बाजार इलाकों का पूरा फुटपाथ जैसे मिट्टी के बर्तन, खिलौने का कारीडोर बना हुआ है।
गौरतलब हो कि पोला (पर्व) छत्तीसगढ़ के अहम त्यौहारों में गिना जाता है। मौके पर गांवों में उत्साह,उमंग, उल्लास देखते बनता है। इस अवसर पर बैलों की पूजा-दौड़ आदि होती है।
छोटे बच्चे-बच्चों के खेलने के लिए बाजारों में कुम्हार परिवार के लोग कई दिनों से मिट्टी से बने नादिया बैल, जाता, पोरा, कढ़ाई, चूल्हा, बेलन-चौकी,थाली, बाल्टी आदि लेकर पहुंचे हैं। वे बड़े सस्ते दामों पर महज 5, 10, 15, 20 रुपए नग हिसाब एवं सेट 40-100 रुपए अधिकतम 150 रुपए में बेच रहे हैं। जिनके घरों में बाल-बच्चे, किशोर-किशोरियां होते हैं वे पक्के-तौर पर मिट्टी से निर्मित (पक्के हुए) बैल, बर्तन लेते हैं।
कुम्हारों के घर-भर के लोग मिलकर उक्त सामान बनाते हैं। रंग-बिरंगे माल आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। जिन घरों में बच्चे नहीं होते वे परिवार भी माल ले जाते हैं पूजा हेतु। फिर आसपास के बच्चों को खेलने दे देते हैं। राजधानी के टाटीबंध, कोटा, आमापारा, लाखे नगर, सारथी चौक, मंगल बाजार, डंगनिया बाजार, रायपुरा , महादेव घाट, चंगोराभाठा, भाटागांव, टिकरापारा, तेलीबांधा, पचपेढ़ी नाका, कालीबाड़ी, गोल बाजार, पंडरी, लोधीपारा, स्टेशनरोड , राजेंद्र नगर, रामसागरपारा, खमतराई, शंकर नगर, अवंती विहार, कटोरा तालाब, खम्हारडीह आदि इलाकों में बाजारों में माल बिक रहा है। तो वहीं कालोनी में गली-गली टोकरी में लेकर, घूम कर भी महिलाएं सामान बेच रही है।
(लेखक डॉ. विजय)