Pitru Paksha 2023 : पितृ पक्ष पर पितर तर्पण श्राद्ध कैसे करें जानिए विधान- पितृ तर्पण से सुख, शांति और समृद्धि बढ़ती है

Pitru Paksha 2023 :

Pitru Paksha 2023 :

Pitru Paksha 2023 : 29 सितंबर शुक्रवार से शुरू हो 14 अक्टूबर तक पुरे 16 दिनों तक पितृ पक्ष चलेगा

Pitru Paksha 2023 : पितृ पक्ष की शुरूआत 29 सितंबर शुक्रवार से हो चुकी है। Pitru Paksha 2023 जो 14 अक्टूबर तक पुरे 16 दिनों तक पितृ पक्ष चलेगा और इसमें पितरों के लिए तर्पण, (पिंड तर्पण के लिए जौ, काला तिल चावल कुश का प्रयोग किया जाता हैं ) पिंडदान, श्राद्ध आदि होगा। पितरों को खुश करने के लिए दान, पंचबलि कर्म, (पांच स्थनों पर भोजन रखना) ब्राह्मण भोज आदि किए जाते हैं। जब पितरों को जल, अन्न, भोजन आदि की प्राप्ति होती है तो वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। उनके आशीर्वाद से परिवार की उन्नति होती है, सुख, शांति और समृद्धि बढ़ती है।

Pitra paksha 2022 know how give water to ancestors shradha rules purvazo ko jal dene ka tarika pitra dosh pcup | Pitra Paksha 2022: पितरों को श्राद्ध पक्ष में जल देते समय

श्राद्ध करने का अधिका
पिता का श्राद्ध करने का अधिकार मुख्य रूप से पुत्र को ही है। एक से अधिक पुत्र होने पर श्राद्ध कि सभी क्रियाएं ज्येष्ठ पुत्र को करनी चाहिए। अगर पुत्र न हो तो पत्नी को श्राद्ध करना चाहिए और पत्नी के भी अभाव में सहोदर भाई या फिर पौत्र-प्रपौत्र, बेटी-दामाद, भतीजा इसके अधिकारी होते है।

आपके श्राद्ध कर्म से कैसे तृप्त होते हैं पितृ और क्या है अतृप्ति का कारण?

इन चीजों का करें दान
श्राद्ध पक्ष में गाय, भूमि, तिल, सोना, घी, वस्त्र, धान ,गुड़, चांदी और नमक इन दस वस्तुओं का दान पितरों के नाम से किया जाता है। इस पक्ष में पितरों से संबंधित दान केवल ब्राह्मणों को दिया जाना चाहिए। भोजन पर ब्राह्मण का ही अधिकार है, क्योंकि ब्राह्मणों को ब्रह्म का सीधा प्रतिनिधि माना जाता है।

पितृ पक्ष को पितरों की पूजा के लिए समर्पित किया गया है, इस वजह से इसके लिए कुछ नियम हैं, जिनका पालन जरूरी होता है। नियमों का पालन न करने से पितृ दोष लगता है या आपके पितर आप से नाराज हो सकते हैं।

*पितृ पक्ष में तिथि अनुसार अपने पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध, दान आदि जरूर करें। पितरों का स्मरण करें। इससे पितृ देवता खुश होते हैं।

* पितरों की खुश करने के लिए कौआ, गाय, कुत्ता, चींटी आदि को भोजन दें। यही पंचबलि कर्म, हैं। इन जीवों को न मारें। उनको दिया गया भोजन पितरों को मिलता है।

* पितृ पक्ष में पितरों की पूजा के लिए रोहिणी और कुतुप मुहूर्त उत्तम माना जाता है। सुबह 11:30 से दोपहर 2:30 तक का समय श्राद्ध कार्य के लिए अच्छा माना जाता हैं।

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