Pitru Paksha 2023 : पितृपक्ष (पितर ) 30 से, तैयारी शुरू
Pitru Paksha 2023 : 15 दिन चलने वाले पर्व पर मृतक पूर्वज भ्रमण के लिए आते हैं,वे वंशजों का हाल-चाल देखने आते हैं
Pitru Paksha 2023 : रायपुर। पितृपक्ष यानि पितर पक्ष (पखवाड़ा) 30 सितंबर से Pitru Paksha 2023 शुरू हो रहा है मौके पर पूरे 15 दिन तक सनातन धर्म के लोग अपने मृत पूर्वजों के आगमन उनके स्वागत-सत्कार, मान-सम्मान में जुटे रहेंगे।
मान्यता है कि पितृपक्ष पर मृतात्माएं भ्रमण के लिए आती हैं
गांव, शहरों, कस्बो, महानगरों में सनातनी धर्मालंबी मौके पर, जहां पितर (पूर्वज) विराजते हैं वहां साफ-सफाई, रंगाई-पुताई करने लगे हैं। गांव-गांव में छुई चूने से स्थल पर पुताई की जाती है। मान्यता है कि पितृपक्ष पर मृतात्माएं भ्रमण के लिए आती हैं। कहा तो यह भी जाता है कि वे देखने आते हैं कि उनके वंशज कैसे रह रहे हैं। सुखमय देख, संयुक्त तौर पर देख उन्हें (पूर्वजों) प्रसन्नता होती है।
पितृ पूरे 15 दिन के लिए अपने परिजन से मिलने आते हैं
पितृपक्ष पर पूरे 15 दिन यानी पखवाड़े भर परिवारजन यथासंभव नाना प्रकार के भोजन पकवान बनते हैं। जिसे पहले मृत पूर्वजों (पितर ) को भोग लगाते हैं। घर के एक हिस्से में उनके (पितर) लिए बैठक व्यवस्था की जाती है। छतों पर भोग रखा जाता है। इस बीच कौओं का आना-भोग खाना शुभ माना जाता है। समझा जाता है कि पितर प्रसन्न हैं भोग ग्रहण कर रहे हैं।
पवित्र नदियों, संगमों में पिंडदान
उधर पवित्र नदियों, संगमों ,जलाशयों में बाकायदा पंडा, पंडित पूरी तैयारी से मौजूद रहते हैं। जो यजमान से श्राद्ध कार्य करवाते हैं। यजमान सपत्नीक या अकेले भी श्राद्ध कार्य कर सकता है। पिंडदान होता है। पंडा-पंडित एवं गवाह बने पंडित को दान-दक्षिणा यथासंभव श्राद्धकर्त्ता यानी यजमान देता है। पितर पाख (पखवाड़ा) पर कई लोग पहले, तीसरे, पांचवें, सातवें, आठवें, नवमी या 15 वें दिन गरीबों, पहचान वालों रिश्तेदारों को भोज कराते हैं। कहा जाता है कि अगर पितरों के लिए श्राद्ध कार्य नहीं किया गया चाहे घर पर या नदियों, तालाबों जलाशयों में तो वे नाराज होकर भूखे लौट जाते हैं। जो वंशजो, परिवारों के लिए शुभ नहीं माना जाता।
(लेखक डॉ विजय )