ठंड, झांसेदारों से सावधान रहने का सीजन ..!
रायपुर न्यूज : ठंड का मौसम चल रहा है। सावधान हो जाए। ठंड से नहीं झांसेबाजों से। जो इन दिनों आपके शहर, कस्बों, गांवों में घूम रहें हैं। ये झांसेबाज महाराष्ट्र की ओर से अक्सर सर्द मौसम में यहां पहुंचते हैं। वो भी दो प्रकार के हैं। एक आपकी बीमारी दूर करने-तो दूसरा खुद परिवार की बदहाली का रोना रोने वाले। दोनों थोड़े समय में झांसे में डाल रकम हड़पने में माहिर।
ताजा घटनाक्रम कोतवाली, टिकरापारा परिक्षेत्र की है। जहां दोनों मामलों में 2 झांसेबाजों ने बीमारी दूर करने के बहाने झांसा दे लाखों लूट लिया। पहला शिकार गोपाल मंदिर, सदर बाजार निवासी, बुजुर्ग राम गोपाल व्यास बने। जब उन्हें मंदिर के पास एक अनजान युवक मिला जिसने उन्हें उनके घुटने का शर्तिया इलाज करने का दावा करते हुए कथित डॉक्टर जलाउद्दीन का नंबर दिया। बुजुर्ग ने जलाउद्दीन को कॉल किया जो दूसरे दिन उनके घर पहुंच गया। खुद को आयुर्वेद चिकित्सक बता उसने बुजुर्ग व्यास के घुटनों में गंदा खून जमा होने से समस्या बताते हुए- एक पाइप लगा खून जैसा द्रव्य बाहर निकाला। बकौल बुजुर्ग थोड़ी राहत महसूस होने पर तीन-चार बार यह प्रक्रिया दो-तीन दिन चली। कथित डॉक्टर ने इस बीच आयुर्वेदिक दवा की पर्ची लिखी, और सारा खर्च मिलाकर 1 लाख 74 हजार रूपए लेकर गायब हो गया। इधर आयुर्वेद दवाखाना वाले ने उन्हें जब बताया कि पर्ची में लिखी दवाई नकली हैं तब बुजुर्ग व्यास कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई। उधर उनका घुटना पूर्ववत दर्द करने लगा है।
इसी तरह दूसरे मामले में युवक ने एक बुजुर्ग महिला को उसके भतीजे के घुटने के इलाज का झांसा दें उपरोक्त कथित डॉक्टर से कराने की बात कह नंबर दिया। कथित डॉक्टर दूसरे ही दिन घर पहुंच गया। ठीक ऊपर वाली प्रक्रिया अपना 60 हजार हड़प लिया। इधर पर्ची लेकर दुकान पहुंची बुजुर्ग महिला से आयुर्वेद दवाखाना वाले ने बताया कि पर्ची में लिखी दवाई नकली है। भतीजे का घुटना दर्द बरकरार है। टिकरापारा थाना आरोपी को ढूंढ रही है।
राजधानी वासी समेत दीगर स्थानों पर रहने वाले प्रदेशवासी ऐसे लोगों से सतर्क रहें। क्योंकि ये लोग कुछ -कुछ अंतराल पर जगह बदलकर वारदाते करते हैं। दूसरी बात लंबी बीमारी, दर्द का इलाज पंजीकृत अस्पताल के पंजीकृत चिकित्सक जान-पहचान वाले से कराए। कोई जादू की छड़ी नहीं है कि कोई पर्ची लिखकर दवा बताए और फौरन घुटनों का दर्द या अन्य बीमारी दूर हो जाए। रकम तो किसी को न दें।
इस मौसम में खुद को महाराष्ट्र के दूरस्थ इलाकों का रहने वाले बताते हुए आपको कुछ परिवार वाले छोटे -दूध पीते बच्चे लेकर घूमते मिलेंगे। वे खेती बाड़ी अकाल से फसल खराब होने का झांसा या खुद को बदहाल स्थिति वाला खेतीहर मजदूर समूह का बताने के साथ, ट्रेन में जेब कटने या बैग चोरी होने की बात बताएंगे । वे एक-दो दिन से परिवार के भूखा होने, बच्चों के लिए दूध वास्ते पैसा न होने, दवा खरीदने आदि कहानी गढ़ मदद मांगते हैं। आप झांसे में आकर दया दिखाते हुए हजार, 5 हजार रुपए दे देते हैं। वे फिर आगे बढ़कर यही कहानी अन्य जगहों पर सुना लोगों को झांसे में लेते हैं। अगर आप उन्हें कहें कि चलो ट्रेन का टिकट (घर) कटा देते हैं, नाश्ता, भोजन करा घर जाने रास्ते के लिए पार्सल भी दिला देंगे। तो वे लोग ठहरेंगे नहीं चलते बनेंगे। आप कहेंगे चलो कुछ काम दिला देते हैं। रहने-खाने की भी व्यवस्था कर देंगे। या खुद के घर कुछ कार्य हेतु करने बोलते हैं, तो वह बगैर रूचि दिखाए आगे बढ़ जाते हैं। ऐसा लोग आमतौर पर दो-तीन, छोटे-बड़े परिवार रहते हैं। जिनके पास चार-पांच बैग रहते हैं। कहीं भी यात्रा में जाने तैयार रहते हैं। ऐसा भी नहीं कि ये फटेहाल दिखे, बल्कि ठीक-ठाक निम्न मध्यम वर्गीय घर के नजर आते हैं। आमतौर पर पुरुष वर्ग आगे आकर कहानी सुनना शुरू करते हैं। ठहरने का जगह पूछने पर रेलवे स्टेशन का प्रतीक्षालय बताएगे। छत्तीसगढ़ में कोई रिश्ते-नातेदार पूछने पर नहीं में जवाब आएगा। ऐसे लोग माह -डेढ़ माह एक शहर से दूसरे शहर घूमते पैसा इकट्ठा करते हैं। वे रेलवे, बस स्टैंड, प्रतीक्षालय या सराय, धर्मशाला में ठहरते हैं। बहरहाल इस सीजन या कोई अन्य में किसी भी प्रकार का तरीका अपना आपसे पैसा निकालना इनका एक मात्र उद्देश्य रहता है। इन्हें बहाने से रोक चुपके से, पुलिस को 100 या 112 में डायल कर सूचित करें। यदि जाने लगे तो इनका सावधनी से पीछा करें।