Gangrel Dam : गंगरेल बांध का जल स्तर घटा, राजधानी में गहरा सकता है पेयजल संकट

Gangrel Dam :

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Gangrel Dam : राज्य का सबसे बड़ा जलाशय धमतरी स्थित रविशंकर जलाशय (गंगरेल बांध) है। जहां फिलहाल 12 टीएमसी ही पानी मौजूद है। सिंचाई विभाग के आलाधिकारियों के अनुसार डेड स्टॉक को कम करने के उपरांत निस्तारी के लिए महज 35 दिनों का ही पानी उपलब्ध रह जाएगा।

Gangrel Dam : गर्मी अभी शुरू हुई है कि राज्य के जलाशयों में जल भंडारण के गिरते स्तर ने चिंता बढ़ा दी है। गर्मी के मौसम में निस्तारी के लिए पानी की मांग उठने पर सिंचाई विभाग ने करीब 500 क्यूसेक पानी छोड़ दिया है। जबकि अप्रैल माह में पानी के लिए ओर दबाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। उधर अनुबंध के तहत उद्योगों एवं नगरीय निकायों को जल आपूर्ति से जल भंडारण और कम होना तय है।

गंगरेल बांध में सिर्फ 12 टीएमसी पानी उपलब्ध

प्रदेश का सबसे बड़ा जलाशय धमतरी स्थित रविशंकर जलाशय (गंगरेल बांध) है। जहां फिलहाल 12 टीएमसी ही पानी मौजूद है। सिंचाई विभाग के आलाधिकारियों के अनुसार डेड स्टॉक को कम करने के उपरांत निस्तारी के लिए महज 35 दिनों का ही पानी उपलब्ध रह जाएगा पर विभाग का दावा है कि हालात बदतर नही है। सही जल प्रबंधन से इसे संभाला जा सकता है। गंगरेल बांध में 38 प्रतिशत जल भंडारण है। बेशक निस्तारी के लिए गांवों के तालाबों को भरने पानी छोड़ने के निर्देश आने के बाद भंडारण में कुछ कमी है। उधर अनुबंध के चलते भिलाई स्टील प्लांट को कम से कम 12 टीएमसी जल की आपूर्ति करना भी अनिवार्य होगा। जबकि ईधर रायपुर नगर निगम को भी कम से कम 12 टीएमसी पेयजल के लिए देना अनिवार्य है। इस स्थिति में बांध में मात्र 7 टीएमसी ही जल भंडारण रह जाएगा। इस स्थिति में मात्र 35 दिनों के लिए ही निस्तारी का पानी मौजूद रहेगा। ऐसे में अगर इस वर्ष मानसून समय पर नही आता तो हालात गंभीर हो सकते हैं। अच्छी वर्षा नही होने पर खरीफ फसल के लिए भी पानी का दबाव बढ़ जाएगा। उधर बिलासपुर संभाग में रायपुर संभाग से ज्यादा बेहतर स्थिति है। हालांकि वहां के बांधों में जल भंडारण को बेहतर नही माना जा सकता है। बिलासपुर के अरपा, भैंसाझार और रायगढ़ में केलो बांध में ही 70% से थोड़ा अधिक भंडारण है।

राज्य के सभी बांधों का जलस्तर घटा

बताया जा रहा है कि रवि शंकर जलाशय में लिंकिंग बांध दुधवा, मुरुम सिल्ली (माडमसिल्ली बांध) का जल भंडारण मिलाकर 95 प्रतिशत तक पहुंच रहा है। पर दोनों बांध गंगरेल की तुलना में बहुत छोटे है। बावजूद इन क्षेत्रों की जरूरतों की पूर्ति यहां से होगी। जबकि गंगरेल में जल स्तर घटने (गिरने) पर सहायक बांधों का सहारा होगा। सिंचाई विभाग के अनुसार प्रदेश के बड़े बांधों में जल भंडारण की स्थिति प्रतिशत में फिलहाल कुछ स्तर है। केला जलाशय 71.77, अरपा भैंसाझार 71.22, खारंग जलाशय 65.6, मिनीमाता बांगो 59.42, सोंढूर जलशय 54.44, सिकासार बांध 51.62, गनियारी जलाशय 51.33 मुरुम सिल्ली 42.73, तांदुला जलाशय 41.06 रवि शंकर जलाशय 38.63, कोडार जलाशय 30.16 दुधावा जलाशय 21.47 प्रतिशत भरा है। सिंचाई विभाग के अनुसार गंगरेल में मार्च के तीसरे हफ्ते का आंकलन करें तो वर्ष 2022 में यह 70.09प्रतिशत भरा था। तो वहीं वर्ष 2023 में 68.86 प्रतिशत जबकि वर्तमान (मार्च में ) महज 38.63 प्रतिशत है।

(लेखक डा. विजय)

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