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Raipur News : extra class लगाने पर निजी स्कूलों के प्रबंधकों पर, शिक्षा विभाग कार्रवाई …!

Raipur News :

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Raipur News : एक नवंबर को राज्य स्थापना दिवस पर निजी स्कूलों ने extra class लगाईं।

Raipur News : राजधानी के कुछ स्तरीय, ए ग्रेड वाले प्राइवेट स्कूल विद्यार्थियों के हित में कुछ छुट्टियाें में Raipur News अतिरिक्त कक्षा लगा रहे हैं। तो स्कूल शिक्षा विभाग के नीचे के दफ्तरों को तकलीफ हो रही है। सराहने के बजाय धमकाने वाली बात कही जा रही है।

नामी प्राइवेट स्कूल के कुछ संचालकों ने नाम न छापने की शर्त पर आरोप लगाया है कि स्कूल शिक्षा विभाग के नीचे के कार्यालय, उन्हें छुट्टियों में अतिरिक्त कक्षाएं लगाने पर एक तरह से धमका- चमका रहे हैं। जिससे उनका मनोबल प्रभावित हो रहा हैं। संचालकों का आरोप है कि इस वर्ष को ज्यादा शासकीय अवकाश, सामान्य छुट्टियां तथा चुनाव की वजह से स्कूलों में पढ़ाई लिखाई पूरी तरह प्रभावित हो रही है। जिसका खराब असर विद्यार्थियों पर पड़ सकता है। उनके संस्थानों का लक्ष्य शिक्षा देना, संस्कार देना, अच्छे विद्यार्थी तैयार कर उनका कैरियर बनाना है। ना कि महज फीस लेकर धंधा करना है। उन्हें शासन की तरफ से शिक्षकों गर्मियों के वेतन या अन्य जरूरतों के लिए अनुदान आदि नहीं मिलता। फिर किस हक से प्राइवेट स्कूलों को शिक्षा देने से रोका जा रहा है। वह भी अन्यथा की स्थिति में कड़ी कार्रवाई की बात कह कर।

दरअसल कुछ प्राइवेट स्कूलों ने कुछ छुट्टियों में जिनमें एक छुट्टी 1 नवंबर राज्य स्थापना दिवस की थी। पर कक्षाएं लगाई। जिसके पीछे कारण बताया कि पाठ्यक्रम विस्तृत है और इतनी छुट्टियाें के साथ पूरा कराना असंभव नहीं तो बेहद मुश्किल कार्य है। रही 1 नवंबर की छुट्टी वाली बात। तो यहां पर संचालकों का आरोप है कि 31 अक्टूबर को देर रात शासन ने स्कूलों में अवकाश का निर्णय लिया। ऐसे में सभी विद्यार्थियों को सूचित करना कतई संभव नहीं था। इतनी देर रात अभिभावकों को फोन या मैसेज करना संभव नहीं था। दूसरा सभी पालकों के पास एंड्रॉयड 5 मोबाइल फोन नहीं है। उधर स्कूल शिक्षा विभाग के अधीन कार्यलयों कहना है कि उन्हें कुछ पालकों ने शिकायत की थी। कि छुट्टी में कक्षा ली जा रही है। शासन-प्रशासन का निर्णय प्रायवेट स्कूलों उनके प्रबंधकों को मनाना अनिवार्य है। अन्यथा आदेश की अवहेलना मानकर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। भविष्य में ध्यान रखा जाए। उधर प्रबंधकों का कहना कि आज तक 40- 50 वर्षों में यहां नहीं देखा गया कि स्कूल पढ़ाना चाहता है, और शासकीय विभाग रोड़ा डाल रहा है। इससे मनोबल टूटा है।

( लेखक डॉ. विजय)

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