बारिश में प्लास्टिक, फोम, रबर के जूते-चप्पल, बरसाती की डिमांड बढ़ी

अब बाजार में ग्राहकी महज हफ्ते, दस दिन की बाकी
रायपुर। राजधानी समेत समूचे प्रदेश में जारी बारिश से रबर फोम, प्लास्टिक के जूते-चप्पल बरसती-छाते का बाजार गर्म है। बाजार सूत्रों के मुताबिक हफ्ते, दस दिन तक मांग और बनी रहेगी।
गौरतलब हो कि प्रदेश के तकरीबन सभी जिलों, तहसीलों में इस बार सामान्य बारिश हो रही है। जिसे फिलहाल तक पर्याप्त कहा जा सकता है। खेती-बाड़ी का सीजन जोरों से चल रहा है। गांवों, मोहल्लो, गलियों, पगडंडियों कच्चे मार्गों पर आना-जाना एवं जल भराव क्षेत्रों से गुजरना पड़ रहा है। जिसके चलते ग्रामीण, अर्ध ग्रामीण क्षेत्रों, कस्बाई शहरों समेत बड़े शहरों तक में भी प्लास्टिक के या रबर-फोम वाले जूते-चप्पलों की डिमाण्ड है। चौक-चोराहों,फुटपाथों पर ततसंबंधी माल बेचने फुटकर विक्रेता, मौसमी व्यवसाय करने वाले बैठे देखे जा सकते हैं। जिनका कहना है कि पिछले माह भर से बिक्री अच्छी है। ग्राहकी बढ़ी है। जो अब हफ्ते -दस दिन तक और रहेगी उसके बाद -तेजी से घटेगी। दाम (दर) आमतौर पर 30-40 रुपए से लेकर 250-300 तक है।
इसी तरह छाता-बरसाती की बिक्री भी अच्छी हुई है। ततसंबंधी व्यवसायियों के अनुसार पर्याप्त ग्राहक बाजार पहुंच रहे हैं। आमतौर पर छाता 100 रुपए से 500 रुपए रेंज तक है। बरसाती 150से 1500 रुपए तक वाली। इनका भी मानना है कि अगस्त पहले हफ्ते बाद ग्राहकी एकदम से कम हो जाएगी।
बहरहाल बरसाती जूते-चप्पल लोग ज्यादा उपयोग करते हैं। बनिस्बत बरसाती (रेनकोट) को, वजह पैरों को कीचड़ एवं गंदे पानी से होने वाले इन्फेक्शन से बचाना। साथ ही चमड़े के जूते-चप्पल में नमी तथा बारिश का पानी पड़ने से फफूंद लग जाती है और जल्दी खराब होते हैं। फफूंद लिया (लगा) जूता-चप्पल पहनना, पैरों में इंफेक्शन पैदा करता