Banke Bihari: अब चांदनी रात बांके बिहारी के नहीं होंगे दर्शन, दोपहर में बंद हो जाएंगे मंदिर के पट

Banke Bihari: शरद पूर्णिमा पर 28 अक्तूबर को इस बार चंद्रग्रहण के कारण बांकेबिहारी के चंद्रमा की धवल चांदनी में दर्शन भक्तों को नहीं हो सकेंगे। चंद्रग्रहण से पहले पड़ने वाले सूतक के कारण मंदिर में होने वाली राजभोग और शयन भोग की सेवा दोपहर साढ़े तीन बजे तक होगी।
Banke Bihari: बांके बिहारी मंदिर में राजभोग और शयन भोग की सेवा दोपहर साढ़े तीन बजे तक होगी। रात को होने वाली शयन आरती दोपहर साढ़े तीन बजे होकर मंदिर के पट बंद हो जाएगी। चंद्रग्रहण के कारण इस बार मंदिर के पट दोपहर में ही बंद हो जाएंगे।
शरद पूर्णिमा के अवसर पर ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में ठाकुर बांकेबिहारी गर्भगृह से बाहर जगमोहन में आकर चांदी के सिंहासन पर विराजमान होते हैं। वर्ष में एक दिन बांकेबिहारी शरण पूर्णिमा की धवल चांदनी में सिर पर मोर मुुकुट, होठों पर मुरली और कटि काछिनी, चांदी की पायल धारण करते हैं। इसके अलावा रेशम जरी की श्वेत रंग की पोशाक भी धारण करते हैं।
महारास के पूर्ण स्वरुप में बांकेबिहारी के विशेष दर्शन करने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं, लेकिन शरद पूर्णिमा पर 28 अक्तूबर को इस बार चंद्रग्रहण के कारण बांकेबिहारी के चंद्रमा की धवल चांदनी में दर्शन भक्तों को नहीं हो सकेंगे। चंद्रग्रहण से पहले पड़ने वाले सूतक के कारण मंदिर में होने वाली राजभोग और शयन भोग की सेवा दोपहर साढ़े तीन बजे तक होगी। रात को होने वाली शयन आरती दोपहर साढ़े तीन बजे होकर मंदिर के पट बंद हो जाएंगे। इससे पहले ही शरद पूर्णिमा पर होने वाले बांकेबिहारी के दर्शन चांदी के सिंहासन पर होंगे।
मंदिर के सेवायत गोपी गोस्वामी ने बताया कि सायंकाल में जब पूर्णिमा के पूर्ण चंद्र की कलाएं विस्तार लेती हैं, तब उसकी चांदनी सीधे मंदिर के जगमोहन में विराजमान बांकेबिहारी के की दिव्य छटा को स्पर्श करती है तो अद्भुत छटा निखर कर आती है। वर्ष में एक बार मिलने वाले इस पल के विशेष दर्शन से भक्तजन वंचित रह जाएंगे। उन्होेंने बताया कि परंपरा अनुसार शरण पूर्णिमा पर दोपहर में ही केसर. मेवायुक्त खीर निवेदित की जाएगी।