बस्तर के टेकलगुड़ेम के पास नक्सली हमला, नया कैम्प, 24 गुणा 7 अलर्ट रहना होगा ..!

मंगलवार की दोपहर सुकमा-बीजापुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र टेकलगुड़ेम गांव में नया कैंप बनाने पहुंची फोर्स पर नक्सलियों ने भीषण हमला कर दिया।
छत्तीसगढ़ न्यूज : मंगलवार की दोपहर सुकमा-बीजापुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र टेकलगुड़ेम गांव में नया कैंप बनाने पहुंची फोर्स पर नक्सलियों ने भीषण हमला कर दिया। कैंप स्थापित करने के बाद आसपास के इलाके में सर्चिंग पर निकली फोर्स पर नक्सली 5 घंटे से ज्यादा समय तक लगातार फायरिंग करते रहे, इस दौरान 250 से ज्यादा देशी ग्रेनेड लॉन्चर (बीजीएल) दागे गए। इसमें सीआरपीएफ और एंटी नक्सल फोर्स कोबरा के तीन जवान शहीद हो गए। 15 घायल हो गये।
बस्तर की यह घटना कुख्यात नक्सली कमांडर हिड़पा के गांव के पास की है –
बताया जा रहा है कि घटना कुख्यात नक्सली कमांडर हिड़पा के गांव के पास की है। बेहतर इलाज के लिए जवानों को हेलीकॉप्टर से रायपुर भेजा गया है। 8 कर्मियों को हवाई मार्ग से रायपुर लाया गया है। शेष 7 कर्मियों का इलाज बस्तर जिले के मुख्यालय जगदलपुर के अस्पतालों में चल रहा है। जिनकी हालत खतरे से बाहर है जहां घटना घटी है उसी के नजदीक सन 2021 में नक्सली हमले में 22 जवान शहीद हुए थे। मंगलवार को कोबरा, एसटीएफ, डीआरजी बल के ऊपर माओवादियों द्वारा लगातार फायरिंग की गई। बताया जा रहा है कि मुठभेड़ के दौरान 300 से ज्यादा बीजीएल शेल दागे गए। अधिकांश जवान बीजीएल से निकले प्लिलन्टर्स से घायल हुए हैं। उधर या भी कहा जा रहा है कि डीआरजी, कोबरा और एसटीएफ जवानों ने मुंह तोड़ जवाब दिया जिससे बड़ी संख्या में नक्सलियों के घायल होने और मारे-जाने की भी खबर है। बैरल ग्रेनेड लांचर(बीजीएल) एक देसी हथियार होता है, जिसे नक्सलियों ने सन 2021 में बनाया था। इसमें सामने के हिस्से में विस्फोटक भरे होती हैं। यह भी बताया जा रहा है सुकमा-बीजापुर जिले की सरहदी इलाकों में कुछ सालों में पुलिस एवं सुरक्षा बल नए पुलिस कैम्प स्थापित कर नक्सली गतिविधियों पर लगाम लगाने में कामयाब हुई है। इससे घबराए नक्सली हमला कर रहे हैं।
हेलीकॉप्टर और ड्रोन के जरिए नक्सलियों पर लगातार नजर रखी जाए –
बहरहाल जब बीजापुर सुकमा के मध्य सरहदी इलाकों में नया कैंप स्थापित किया गया है एवं उसकी सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने की प्रक्रिया चल रही है- तब जरूरी हो जाता है कि निरंतर हेलीकॉप्टर एवं ड्रोन से नक्सलियों की निगरानी की जाए। नक्सली कमांडर हिड़पा के गांव के पास तक फोर्स का पहुंचना दुश्मन को उसकी मांद में चुनौती देना है। कहा जा रहा है कि अपने इलाके के आसपास हिड़पा एक हजार नक्सलियों से घिरा रहता है। जब यह सब रिपोर्ट फोर्स के पास है एवं पूर्व में यहां 22 जवान शहीद हो चुके हैं तो एहतियातन कड़ाई से बरतना चाहिए था। नक्सलियों को फोर्स की जानकारी पक्के से रही। यही वजह है कि उन्होंने बड़ी संख्या में रहते हुए तैयारी के साथ चारों ओर में फायरिंग की। वह भी 5 घंटे तक मुठभेड़ चली।
पुलिस और तैनात सुरक्षा बल बस्तर को नक्सल समस्या से मुक्त कराने के लिए संकल्पित हैं-
बस्तर रेंज आईजी सुंदर दास ने कहा है कि बस्तर पुलिस और तैनात सुरक्षा बल क्षेत्र के लोगों को नक्सल समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम टेकलगुडेम में मजबूती से एक शिविर स्थापित करेंगे और शांति, सुरक्षा और विकास के लिए समर्पित होकर काम करेंगे। चर्चा है कि नक्सली घास से बने विशेष कपड़े पहनकर कैंप लूटने आये थे। लेकिन सुरक्षा बलों की सतर्कता से एक बड़ी घटना टल गई। खैर ! कुछ भी हो, बस्तर पुलिस बल को वहां काफी अलर्ट रहना होगा। आखिर नक्सलियों की मांद में जाकर अपना कैंप लगाना बड़ी बात है और सीधी चुनौती भी। इस बीच हमें सीमा पर रहने वाले आसपास के ग्रामीणों को भी विश्वास में लेना होगा और उन पर नजर भी रखनी होगी। नक्सली दबाव और दमन से त्रस्त ग्रामीण बल बस्तर पुलिस के पदों को लीक करने के लिए मजबूर हो सकते हैं। सर्चिंग का दायरा हवाई क्षेत्र भी बनाना बेहतर होगा।