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स्टार्टअप बकरी बैंक की व्यापक चर्चा, पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में जिक्र किया

रायपुर न्यूज :

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हर महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बहुचर्चित कार्यक्रम मन की बात टीवी और रेडियो पर प्रसारित होता है। जिस कार्यक्रम का श्रोताओं (लोगों) को इंतजार रहता है, उसमें पीएम ने कालाहांडी के एक गांव का जिक्र किया था।

रायपुर न्यूज : हर माह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बहुचर्चित कार्यक्रम मन की बात का टीवी,रेडियो पर प्रसारण होता है। जिसका श्रोता (लोग) इंतजार करते हैं। पिछले माह के ऐसे ही कार्यक्रम में पीएम ने कालाहांडी के एक गांव का जिक्र किया था। जिससे जहां बकरी पालन यानी बकरी बैंक चलाया जा रहा है,जिसमें हितग्राहियों को अच्छा लाभांश मिल जाता है।

पिछले दिनों रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के इन्क्यूवेशन सेंटर का स्टार्टअप सुर्खियों में आ गया है। दरअसल, पीएम नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी अपने मन की बात कार्यक्रम में कालाहांडी, ओडिशा के गोट बकरी बैंक की जमकर तारीफ की थी। कालाहांडी के गांवो में बकरी पालन के चलते रोजगार के अच्छे अवसर सामने आ रहे हैं। स्टार्टअप सेंटर की जयंती महापात्र के अनुसार उनका टर्नओवर 5 करोड रुपए का है। उनके लिए आर-एबीआई डोर ओपनर रहा है, इस हेतु उनके प्रति कृतज्ञ हैं। एसबीआई सीईओ हुलास पाठक कहते हैं कि उनकी पूरी कोशिश रहती है कि जो भी अपना आइडिया लेकर हमारे यहां आए वह इसी तरह अपना नाम रोशन करे। जयंती ने बताया कि उन दोनों ने एमबीए किया है पहले बैंकिंग सेक्टर से जुड़े थे। कालाहांडी में अत्यंत छोटे किसान रहते हैं, कइयों के पास जमीन तक नही है, वे मजदूरी कार्य करने अन्यंत्र जाते हैं, तो कई मर्तबे मजदूरों को बाहर भी काम नही मिलता इसलिए सुसाइड (आत्महत्या) का रास्ता अपनाते हैं। तब हमने तय किया की बकरी बैंक की जरिए महिलाओं को स्वावलंबी बनाया जाए जिससे वह सोर्स आफ लवलीहुड बन सके। बकरी बैंक के तहत मणिकास्तु बकरी बैंक से किसानों को दो साल के लिए दो बकरियां दी जाती हैं, इस दौरान बकरियां 9-10 बच्चों को जन्म देती है। जिनमें से 6 बच्चों को बैंक रखता है और शेष को उसी परिवार को दे दिया जाता है, जो बकरियों को पालता है। इसी के साथ बकरियों की देखभाल वास्ते जरूरी सेवाएं भी बैंक प्रदान करता है। बकौल हुलास पाठक, जयंती और उनकी टीम ने उदभव कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। इनक्यूवेशन सेंटर में बिजनेस मॉडल डेवलपर के तहत गोट बैंक चलाने की बारीकियों को समझा व जाना हमने फंडिग भी उपलब्ध कराई। बाद में तो उन्हें कई एजेसिंयों से फंडिग मिलनी शुरू हो गई, हमारे यहां देशभर से आइडिया मंगाए जाते हैं।

(लेखक डा. विजय)

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