पक्ष-विपक्ष को बधाई, अब बाधा न डालो भाई … !

नारी शक्ति वंदन विधेयक

नई दिल्ली। संसद के विशेष सत्र में केंद्र सरकार द्वारा पेश नारी शक्ति वंदन विधेयक 454 वोट के साथ लोकसभा में पारित हो गया है। विरोध में मात्र दो वोट पड़े। विधेयक पास कराने के लिए पक्ष-विपक्ष दोनों बधाई के पात्र हैं। अब विधेयक राज्यसभा में जाएगा जहां 2 दिन चर्चा के बाद वोटिंग होगी। जिसके बाद इसे कम से कम 50% राज्यों में अनिवार्य सहमति लेनी है फिर राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर होने जाएगा। ततपश्चात विधेयक कानून का रूप ले लेगा। यानी तब तय हो जाएगा कि महिलाओं के लिए लोकसभा एवं विधानसभा में 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित हो गई

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नारी शक्ति वंदन विधेयक यानी महिलाओं के लिए लोकसभा, विधानसभा में 33% सीट आरक्षण को ले चर्चा की थी। जिसमें आव्हान किया था कि नुक्ता चीनी छोड़ पहले विधेयक पारित करें। आरक्षण के अंदर आरक्षण की बात कर मामला न उलझाए। पहले ही देर हो चुकी है और तकरीबन आधा दर्जन बार प्रयास हो चुका है। सबको सब कुछ पता है लिहाजा विधेयक बिना लंबा बहस किए, बगैर हीला- हवाला के पारित करें। रिपोर्ट में यह भी कहा था कि प्रत्येक दल को वर्तमान आधार पर जारी आरक्षण के तहत अपने उम्मीदवार तय कर लेना चाहिए। नया परिसीमन बाद में होता रहेगा तब विधेयक में संशोधन हो जाएगा।

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अगर साफ नीयत एवं इच्छा शक्ति हो तो क्या कुछ भी किया जा सकता। अच्छे कार्य के लिए उठाए गए पहले कदम के वक्त ज्यादा टोका-टोकी अपशगुन माना जाता है। यह भी कहा था कि तुरंत लागू करें। बाकी कुछ बाद में सब होता रहेगा। बहरहाल यह बहुत अच्छी बात है कि लोकसभा में मात्र 8 घंटे चली बहस में 60 वक्ताओं ने (तमाम दलों के) अपनी बात रखीजिसमें 27 महिलाएं थी। जिसके बाद 454 वोट के साथ पारित हो गया। मात्र दो वोट विरोध में आए।

नारी शक्ति वंदन विधेयक': ऐतिहासिक महिला आरक्षण बिल पर लोकसभा में मुहर, पक्ष में 454 वोट, विरोध में सिर्फ 2 - Nari shakti vandana adhiniyam bill pass in lok sabha 454 vote

बहरहाल केंद्र सरकार द्वारा पेश यह विधेयक अगर आगे की बाधाओं को पार करता हुआ मूर्तरूप ले लेता है तो ऐसा कि नहीं उसमें संशोधन नहीं किया जा सकेगा। एक बार रास्ता बन जाए विधेयक तो आगे जाकर पूरक रास्ते जोड़े- निकाले (संशोधन) जा सकते हैं। संभावनाए हैं और रहेंगी। लिहाजा राज्यसभा के सम्मानित सांसदों एवं राज्यों की विधान सभाओं को भी देश की आधी आबादी के सम्मान में इसे जल्द एवं पारित करना चाहिए। एक चीज और इस विधेयक पक्ष -विपक्ष को श्रेय लेने की दृष्टि से न देखकर देशहित में देखना चाहिए।

राजनैतिक विश्लेषक अगर यह कह रहें हैं कि नारी शक्ति वंदन विधेयक अगर पारित हो गया- लागू हो गया। तो संसद की सूरत-सीरत बदल जाएगी। बहुत कुछ ऐसा हो सकता है। इसे थोड़ा विस्तार से समझे- एक भाई जब सड़क पर चलता-निकलता घूमता है तो उसकी गतिविधि सामान्य लड़कों, युवाओं की तरह रहती है। और जब वही भाई- अपनी सगी बहन के साथ इस सड़क पर चलता-निकलता, घूमता हाट-बाजार जाता है तो उसकी गतिविधि पूर्ण रूपेण संस्कारित, आर्थिक, नैतिक हो जाती है। ठीक यही चीज कायम होगी लोकसभा-विधानसभा के भीतर जब 33 प्रतिशत महिलाएं अनिवार्यतः (कानूनन) रहेगी। सच बहुत कुछ बदल जाएगा जो देश के संपूर्ण हित में होगा।आखिर में नए संसद भवन में प्रधानमंत्री तमाम विपक्षी शीर्ष नेताओं की नेताओं का अभिवादन कर रहे हैं।

(लेखक डॉ. विजय )

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