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मौली धागा का धार्मिक महत्त्व

सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण है मौली धागा

रायपुर। इस रक्षाबंधन में अपने आराध्य को रक्षा सूत्र ( मौली धागा) जरूर उनकी कलाई में बांधे जिससे की आप की रक्षा भगवान हमेशा करते रहें। धार्मिक पूजा-पाठ और अनुष्ठान के दौरान अक्सर पंडित जी द्वारा हमारे हाथों में मौली धागा बांधते देखा होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मौली धागा सूती धागा होता है जिसे बांधने से व्यक्ति को अनेक तरह की समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है और उसकी कई सारी परेशानियों से रक्षा भी होती हैं। मौली और कलावा, रक्षा सूत्र के नाम से भी जाना जाता है। मौली धागा से जुड़े कई ऐसे नियम है जिन्हें हर हिंदू धर्म को मानने वाले व्यक्ति को जानना चाहिए।

मौली धागा तीन रंगों से मिलकर बना हैं (लाल, पीला, हरा कच्चे सूत से बनाया जाता हैं) धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजा पाठ में बांधा जाने वाला मौली इसलिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि पूजा-पाठ के दौरान उस धागा में भगवान की कृपा और आशीर्वाद होती है। मौली धागा में उपयोग किए जाने वाला लाल रंग सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता हैं। पीला रंग का सुख और शन्ति का प्रतीक माना जाता हैं। हरा रंग सौभाग्य, खुशहाली, समृद्धि का प्रतीक माना जाता हैं। अब कुछ धागे 5 रंगों से भी बनाया जाने लगा है नीला और सफेद धागे का भी उपयोग होने लगा है। जो की 3 या 5 की संख्या में धागे बना रहें हैं। तीन रंगों के मौली धागा को त्रिदेव के नाम से जाना जाता हैं (ब्रम्हा, विष्णु, महेश) अब 5 रंगों के मौली धागा को पंचदेव का प्रतीक (ब्रम्हा, विष्णु, महेश, गणेश, सूर्यदेव) माना जाता हैं।

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मौली धागा बांधने का नियम

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार पूजा पाठ के दौरान मौली धागा बांधना बेहद शुभ माना गया है। पुरुषों और कुंवारी कन्याओं के दाएं हाथ में रक्षासूत्र बांधा जाता है। वहीं विवाहित महिलाओं के बाएं हाथ में रक्षासूत्र बांधने की परंपरा है।

इस तरह बांधें रक्षासूत्र

धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है कि रक्षा सूत्र बांधते समय हाथ में दक्षिणा रखना बेहद जरूरी है। वहीं अपना दूसरा हाथ सिर पर रखना चाहिए। हाथ में 3, 5 या 7 बार मौली धागा लपेटना चाहिए। हाथ में रखी दक्षिणा दान स्वरूप पंडित को उसे भेंट कर देना चाहिए।

मान्यता है कि रक्षा सूत्र बांधने से उन्हें कई गुना पुण्य फल प्राप्त होता है और उनके घर में धन-दौलत का प्रवाह तेज हो जाता है. परंतु यजमानों को मौली धागा बांधते और इसे खोलते समय इन गलतियों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए।

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उतरे हुए रक्षा सूत्र (मौली धागा ) का क्या करें

शास्त्रों के अनुसार बताया गया है कि जिन जातकों ने अपने हाथ में रक्षासूत्र बांध रखा है, मंगलवार या शनिवार के दिन ही उसको उतारना चाहिए।पूजा घर में बैठकर ही खोलें और उसी समय दूसरा रक्षासूत्र पूजा घर में बैठकर ही बांध लें। रक्षासूत्र को किसी बहती नदी या तालाब में प्रवाहित करना शुभ होता हैं।
रक्षासूत्र पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में जबकि शादीशुदा महिलाएं को बाएं हाथ में बांधा जाता है।
अमावस्या तिथि को भी पुराना रक्षासूत्र को उतार कर नया रक्षासूत्र बांध सकते हैं।
रक्षासूत्र बंधवाते समय जिस हाथ में मौली धागा बांधा जा रहा है उसकी मुट्ठी बंधी होनी चाहिए और दूसरा हाथ अपने सिर पर रखना चाहिए।
रक्षासूत्र को हमेशा 3 या 5 या 7 राउंड घुमाकर ही हाथ में बांधना चाहिए।

रक्षासूत्र बांधते समय इन मंत्रों का जाप करना चाहिए – येन बद्धो बली राजा, दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वांमनुबध्नामि, रक्षे मा चल मा चल।

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