लोकसभा चुनाव से पहले CAA लागू कर देगी मोदी सरकार! अधिकारीयों ने दी अहम जानकारी

CAA will be implemented soon: केंद्र के एक बड़े अधिकारी ने इस बात का संकेत दिया है कि लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार CAA लागू कर देगी।
देश की संसद के द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर बुधवार को बड़ी खबर सामने आई। सूत्रों के मुताबिक केंद्र की मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से पहले CAA लागू करने की तैयारी में है। गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इस कानून के नियम-कायदों को जल्द ही लागू कर दिया जाएगा।
संभावना है कि इसी महीने या फरवरी में सीएए के नियम लागू हो जाएंगे। आपको बता दें कि इस विधेयक को दिसंबर 2019 में संसद द्वारा मंजूरी दे दी गई थी। इस विधेयक में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने की वकालत की गई है। वहीं, मुसलमानों को इससे अलग रखा गया है।
सरकार के बड़े अधिकारी ने की पुष्टी
दरअसल, अंग्रेजी अखबार TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, जब केंद्र के एक बड़े अधिकारी से पूछा गया कि क्या सीएए नियमों को कुछ महीनों में होने वाले लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले अधिसूचित किया जाएगा, तो उन्होंने जवाब दिया, ‘हां, उससे बहुत पहले.’ अधिकारी ने आगे कहा, ‘हम जल्द ही सीएए के नियम जारी करने जा रहे हैं।
नियम जारी होने के बाद कानून लागू किया जा सकता है और पात्र लोगों को भारतीय नागरिकता दी जा सकती है। आवेदकों को वह वर्ष बताना होगा जब उन्होंने यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था। आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। बता दें कि कानून में चार साल से अधिक की देरी हो चुकी है और कानून लागू होने के लिए नियम जरूरी हैं।
कानून के लिए वेब पोर्टल तैयार
इसके लिए एक पोर्टल भी तैयार कर लिया गया है। पात्र पड़ोसी देशों से आने वाले विस्थापितों को सिर्फ पोर्टल पर आनलाइन आवेदन करना होगा और गृह मंत्रालय इसकी जांच कर नागरिकता जारी कर देगा। बता दें कि नागरिकता देने का अधिकार पूरी तरह से केंद्र सरकार के पास है।
क्या कहता है CAA का कानून?
CAA के तहत अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 के पहले आने वाले छह अल्पसंख्यकों (हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी) को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। इसके लिए इन तीन देशों से आए विस्थापितों को कोई दस्तावेज देने की भी जरूरत नहीं है।
जिला मजिस्ट्रेट भी दे सकेंगे नागरिकता
एक अधिकारी ने बताया कि केंद्र ने नियम बनाने के लिए अब तक आठ तारीखों के विस्तार का लाभ उठाया है। पिछले दो वर्षों में नौ राज्यों के 30 से अधिक जिला मजिस्ट्रेटों और गृह सचिवों को नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने की शक्तियां दी गई हैं।
देश भर में हुए थे दंगे
बता दें कि CAA का कानून पारित होने के तुरंत बाद देश भर में इसके खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। इस कानून के अधिनियमों को कभी भी अधिसूचित नहीं किया गया है। सरकार ने नियम बनाने के लिए बार-बार विस्तार की मांग की है। सूत्रों ने बताया है कि नियम अब तैयार हैं। ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी और आवेदक अपने मोबाइल फोन से भी आवेदन कर सकते हैं। सूत्रों ने कहा, “हम आने वाले दिनों में सीएए के लिए नियम जारी करने जा रहे हैं। एक बार नियम जारी होने के बाद कानून लागू किया जा सकता है और पात्र लोगों को भारतीय नागरिकता दी जा सकती है।
कुछ दिनों पहले गृहमंत्री ने दिया था संकेत
बता दें कि गृहमंत्री अमित शाह ने पिछले हफ्ते पश्चिम बंगाल में भाजपा की सभा को संबोधित करते हुए संकेत दिया था कि देश में जल्दी ही CAA लागू होने जा रहा है। उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा था कि दीदी अक्सर सीएए के बारे में हमारे शरणार्थी भाइयों को गुमराह करती हैं। मैं स्पष्ट कर दूं कि सीएए देश का कानून है और इसे कोई नहीं रोक सकता। सबको नागरिकता मिलने वाली है। यह हमारी पार्टी की प्रतिबद्धता है।