तीजा पर सजी शृंगार प्रसाधन सामग्री की दुकानें

तीजा पर सोलह शृंगार का रिवाज
रायपुर। छत्तीसगढ़ में तीजा पर्व महत्वपूर्ण है। इस मौके पर विवाहित महिलाएं मायके पहुंचती हैं। जहां वे कडू भात खाकर 24 घंटे का निर्जला व्रत पति के दीर्घायु होने की कामना से रखती है। वे सजधज कर सोलह शृंगार कर नई साड़ी पहनकर उपवास करती है। लिहाजा शृंगार सामग्रियों की अच्छी बिक्री हो रही है।
दरअसल विवाहित महिलाएं मायके में ही पहुंचकर यह व्रत मनाती है। मौके पर उनके बचपन, किशोरावस्था के समय की गांव, कस्बे, शहर की सहेलियां भी तीजा पर आई होती हैं। लिहाजा खूब जमती है तमाम सहेलियों के बीच जब वे मिल बैठकर लंबी चर्चा करती है।
इस उपवास को रखने के पूर्व पूजा-पाठ कर सोलह शृंगार करती हैं। सिंदूर, चूड़ी, बिंदिया, अंगूठी, गले का हार, कंगन, करधन, पैर पट्टी, पायल, काजल, मेहंदी, लिपस्टिक, पाउडर, कंघी, आदि से सोलह शृंगार करती है। ऐसे में स्वाभाविक है कि वे शृंगार सामग्री विशेष तौर पर खरीदती हैं। इसके चलते शृंगार प्रसाधन की चीज बेचने वाले नया माल मंगा रखे हैं। पिछले हफ्ते भर से उनकी दुकानों पर ग्राहकी इजाफा हो रहा है।
कुछ चीजे ससुराल से तो कुछ चीजे मायके पहुंच खरीदती है। विवाहित महिलाएं मायके हो या ससुराल पुरानी,वर्तमान सहेलियों के साथ शृंगार सामग्री खरीदने जाती हैं। इस बीच कपड़े (साड़ी) मायका पक्ष अनिवार्यतः उपलब्ध कराता है। यथासंभव नई चप्पल, सैंडल, जूती, रुमाल, लेडिस पर्स, बैग आदि भी मायके वाले देते हैं। बहरहाल शृंगार प्रसाधन वालों के लिए यह सीजन का समय होता है। ज्यादातर महिलाएं शृंगार सामग्री दुकान संचालित करती है। वे अपने ग्राहक बहनों की पसंद, साइज बजट जानती है देखते ही माल निकाल हाल-चाल पूछने लगती है।
(लेखक डॉ. विजय)