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Manipur Violence : ‘मेरा घर जल रहा है इसे बचाइए’, ओलंपिक चैंपियन ने PM Modi से लगाई मदद की गुहार

Manipur Violence : भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में 3 मई से जातीय हिंसा जारी है। ( Manipur Violence )कुकी और मेतैइ समुदाय के बीच शुरू हुई जातीय हिंसा सरकार के लाख कोशिशों के बावजूद कम होने का नाम नहीं ले रही। इस बीच ओलंपिक चैंपियन मीराबाई चानू ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से गुहार लगाई है। बता दें कि इस वक्त चानू अमरीका में है। उन्होंने सोशल मिडिया पर 1 मिनट 10 सेकेंड एक का वीडियो जारी किया है। इस वीडियो में मीराबाई चानू कह रही है कि मणिपुर के लोगों को बचा लो। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मणिपुर में शांति बहाल करने की गुहार लगाई है। सोशल मीडिया के हर प्लेटफार्म पर मीराबाई चानू का यह वीडियो वायरल हो रहा है।

चानू ने PM मोदी और अमित शाह से क्या कहा
मीराबाई चानू ने वीडियो शेयर किया और कहा- मणिपुर में पिछले तीन महीने से जो लड़ाई चल रही है वह अभी तक रुकी नहीं है। इस लड़ाई की वजह से कई खिलाड़ी ट्रेनिंग नहीं कर पा रहे हैं। वहीं छात्रों को पढ़ाई में दिक्कत हो रही है। कई लोगों की जान जा चुकी है, कई के घर जल चुके हैं। मणिपुर में मेरा घर है लेकिन मैं अभी अमेरिका में हूं जहां मैं आने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप और एशियन गेम्स की तैयारी कर रही हूं।

मीराबाई चानू इस वीडियो में बोल रही हैं कि मैं भले ही मणिपुर में नहीं हूं, लेकिन देखतीं हूं और सोचती हूं कि आखिर कब खत्म होगी यह लड़ाई। मैं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से अपील करती हूं कि इस लड़ाई को जल्दी से जल्दी शांत करें और मणिपुर की जनता को बचा लीजिए और मणिपुर में पहले जैसी शांति बहाल कीजिए। इस वीडियो को जमकर शेयर किया जा रहा है, लोग मीराबाई चानू की इस मांग पर अपनी राय भी रख रहे हैं।

पूरा मामला जानिए
बता दें कि, अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद पहली बार 3 मई को झड़पें हुई थीं। मेइती समुदाय मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नागा और कुकी जनसंख्या का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं। राज्य में शांति बहाल करने के लिए करीब 10,000 सेना और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है।

लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद भी कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है, जिस कारण आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अब तक इस हिंसा में 140 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और 3000 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। केंद्र की मोदी और राज्य की बिरेन सरकार अब तक इस मसले पर पूरी तरह विफल दिखी है।

 

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