Mahakumbh 2025: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू कल जाएंगी प्रयागराज, संगम में लगाएंगी आस्था की डुबकी

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Mahakumbh 2025: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सोमवार को प्रयागराज जाएंगीं। इस दौरान वह संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगी।

Mahakumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान हर दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इस बीच प्रयागराज के महाकुंभ में सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी डुबकी लगाएंगी। रविवार को जारी एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई। बयान के अनुसार राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू आठ घंटे से अधिक समय तक प्रयागराज में रहेंगी। इस दौरान संगम स्नान के साथ ही वह अक्षयवट और बड़े हनुमान मंदिर में दर्शन-पूजन करेंगी। इस दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहेंगे। राष्ट्रपति के दौरे को देखते हुए प्रयागराज में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी गई है। जारी बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति सुबह संगम नोज पहुंचकर त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाएंगी। देश की प्रथम नागरिक का संगम में डुबकी लगाने का यह ऐतिहासिक क्षण होगा।

अक्षयवट का भी करेंगी पूजन

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इसके उपरांत धार्मिक आस्था को और मजबूती देने के लिए अक्षयवट का दर्शन-पूजन करेंगी। सनातन संस्कृति में अक्षयवट को अमरता का प्रतीक माना जाता है। यह हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण स्थल है, जिसकी महत्ता पुराणों में भी वर्णित है। इसके अलावा वह बड़े हनुमान मंदिर में भी दर्शन करेंगी और पूजा-अर्चना कर देशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना करेंगी। बयान के अनुसार राष्ट्रपति आधुनिक भारत और डिजिटल युग के साथ धार्मिक आयोजनों को जोड़ने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल को समर्थन देंगी।

शाम को वापस रवाना होंगी दिल्ली

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू डिजिटल महाकुम्भ अनुभव केंद्र का अवलोकन करेंगी, जिसमें महाकुम्भ मेले की विस्तृत जानकारी तकनीकी माध्यमों से उपलब्ध कराई जा रही है। यहां देश-विदेश के श्रद्धालुओं को इस अद्भुत आयोजन को और अधिक निकटता से अनुभव करने के लिए इसे स्थापित किया गया है। राष्ट्रपति शाम पौने छह बजे प्रयागराज से वापस नई दिल्ली के लिए रवाना होंगी। राष्ट्रपति का यह दौरा न केवल प्रयागराज के लिए ऐतिहासिक होगा, बल्कि देशभर के श्रद्धालुओं के लिए भी एक प्रेरणादायी क्षण होगा। उनकी उपस्थिति से महाकुम्भ के धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को एक नई ऊंचाई मिलेगी।

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