Loksabha Election : CM सुक्खू ने बागी विधायकों को लेकर किया ये दावा, कहा- 15-15 करोड़ में बिके बागी

Loksabha Election : हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह ने बागी विधायकों को लेकर एक बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि सभी बागी विधायक 15-15 करोड़ बिक चुके हैं।
Loksabha Election : शिमला : हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) ने ऊना के कुटलैहड़ से चुनाव प्रचार की शुरूआत की। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस के छह बागियों पर सीधा हमला बोला। समूर कलां में जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने ये दावा किया कि बिकाऊ और खाऊ नहीं चलेंगे। इस दौरान उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, विधायक सुदर्शन बबलू, पूर्व मंत्री कुलदीप कुमार, पूर्व विधायक सतपाल रायजादा, जसवां परागपुर से कांग्रेस प्रत्याशी रहे सुरेंद्र मनकोटिया, कुटलैहड़ से कांग्रेस उम्मीदवार रहे विवेक शर्मा, कर्नल धर्मेंद्र पटियाल, ऊना जिला कांग्रेस अध्यक्ष रणजीत राणा, पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र धर्माणी, देशराज गौतम, कुटलैहड़ ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष राम आसरा शर्मा इत्यादि उपस्थित रहे।
CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि 25 विधायकों वाले जयराम ठाकुर (Jairam Thakur) सरकार बनाने की बात कर रहे हैं, वह अपने विधायकों को बिकने से बचाएं। वह किसी भी मंडी में बिक सकते हैं, उन्हें बचाकर रखना। कांग्रेस की पूर्ण बहुमत वाली सरकार पूरे 5 साल चलेगी। हमारे पास पैसे का नहीं, ईमानदारी, नैतिकता और जनता के हौसले का बल है।
’15-15 करोड़ में बिके बागी और निर्दलीय’
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हमारे पास पैसे का नहीं, ईमानदारी, नैतिकता और जनता के हौसले का बल है। कांग्रेस के छह बागी और तीन निर्दलीय 15-15 करोड़ रुपये में बिके हैं, इसका हमारे पास सबूत है। पुलिस जांच में इसकी परतें खुलना शुरू हो गई हैं। होटलों का बिल किसना दिया, किसके पैसे से हेलीकॉप्टरों में घूमे, यह सब अब सामने आ रहा है. यह सब जेल की सलाखों के पीछे जाएंगे।
विधायकी बेचने वालों को सिखाएं सबक
मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा नेताओं, कार्यकर्ताओं से उनका आग्रह है, पैसे लेकर विधायकी बेचने वालों को सबक सिखाएं। इन्होंने कांग्रेस से विधायक बनकर भ्रष्टाचार किया, अब भाजपा में जाकर भी भ्रष्टाचार ही करेंगे। ऐसे व्यक्ति कभी आपकी सेवा नहीं करेंगे, यह लूट-खसूट ही करेंगे। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर जब वोट के दम पर सत्ता प्राप्त नहीं कर सके, तो नोट के दम पर कुर्सी हथियाने की कोशिश की।