स्नातक में सेमेस्टर प्रणाली ज्ञानार्जन बढ़ाने, शिक्षक-विद्यार्थी दोनों हेतु नई शिक्षा नीति

महाविद्यालयों में जारी अलग-अलग रिंफ्रेस बुक से ज्ञानार्जन अधिक
रायपुर। अध्ययन-अध्यापन कार्य का शॉर्टकट तरीका नहीं है। यदि शॉर्टकट तरीका अपना कर शिक्षा हासिल करना या शिक्षा देना चाहते हैं। तो फिर यह तय है कि विद्यार्थी ज्ञान बढ़ेगा नहीं बल्कि उथला-उथला रहेगा। शिक्षक को पगार मिलते रहेगा।
राज्य में नई शिक्षा नीति अंतर्गत 10 महाविद्यालयों में स्नातक पाठ्यक्रमों में सेमेस्टर सिस्टम लागू है। जिस हेतु उच्च शिक्षा विभाग ने सिलेबस बनाकर दे दिया है। वेबसाइट में भी सिलेबस अपलोड है विद्यार्थियों का आरोप है कि उन्हें किन किताबों से पढ़ाया जाएगा इस बारे में सोचा नहीं गया है। लिहाजा वे पुस्तकालयों में मौजूद रिंफ्रेश किताबों से पढ़ने सिलेबस पूरा करने बाध्य हैं।
बेशक संबंधित किताबें फिलहाल उपलब्ध नहीं है- जिसके पीछे एक वजह यह भी है कि लेखकों ने या तो कलम नहीं उठाई है या कि वे स्वयं से रिस्क (खर्च का) लेना नहीं चाहते।बहरहाल विद्यार्थी स्वीकार रहे हैं कि उन्हें पुस्तकालय से रिंफ्रेश बुकों से सिलेबस तैयार करना पड़ रहा है। अगर या बात है तो समेस्टर पद्धति का मकसद पूरा होगा। जब विद्यार्थी संदर्भित पुस्तकों का अधिकाधिक अध्ययन कर स्वयं सिलेबस बनाएगा। तो तय है कि उसका ज्ञानार्जन बढ़ेगा। जो उसे अच्छा ज्ञानवान विद्यार्थी बनाएगा। पका-पकाया एक किताब में पूरा सिलेबस मिलने से विद्यार्थी भोजन की कीमत नहीं समझ पाएगा। भोजन का जो आनंद खुद से बनाकर खाने में वह बाजार से पका-पकाया लेकर (ऑर्डर) खाने में नहीं है। भोजन बनाने में उसकी महत्व पता चलती है उसी तरह अलग-अलग पुस्तकों से पढ़कर ज्ञान प्राप्त करने पर वृहद ज्ञान होता है।
उपरोक्त चीज शिक्षक वर्ग पर भी लागू होती है। जो शिक्षक किसी एक पुस्तक से पढ़ते हैं (पूरा सिलेबस वाली) और जो शिक्षक अलग-अलग संदर्भित किताबें अलग ग्रंथों से पढ़ते हैं। उनमें (दोनों में) बेहद अंतर् रहता है। उनकी विषय पर पकड़ मजबूत होती है। नया स्नातक पाठ्यक्रम (नई शिक्षा नीति) काफी सोच समझ कर बनाई गई है। सेमेस्टर सिस्टम से ग्रेजुएट विद्यार्थी का ज्ञान, सामान्य तीन वर्ष वाले (वार्षिक सिस्टम) से अधिक होता है यही चीज शिक्षकों पर लागू होती है। जो शिक्षक शॉटकट तरीके से पढ़ाते हैं और जो तमाम संदर्भ ग्रंथ का अध्ययन कर अध्यापन कार्य कराते हैं। दोनों में भारी अंतर ज्ञान के मसले पर होता है।