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कोरबा भूमि अधिग्रहण घोटाला, 152 फर्जी मकानों का मुआवजा रद्द

कोरबा जिले के मलगांव गांव में एसईसीएल (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) की दीपका विस्तार परियोजना के लिए किए जा रहे भूमि अधिग्रहण में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। इस परियोजना के तहत गांव के लोगों को उनके मकानों और जमीनों के बदले मुआवजा दिया जाना था, लेकिन जांच में पता चला कि जिन मकानों के नाम पर करोड़ों रुपये का मुआवजा जारी किया गया, उनमें से 152 मकान तो कभी थे ही नहीं।

इस गंभीर मामले का खुलासा तब हुआ जब राजस्व विभाग और स्थानीय प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर जांच-पड़ताल की। शुरूआती जांच में एसईसीएल द्वारा दी गई सूची में 78 मकान ऐसे पाए गए जो वास्तविकता में कहीं मौजूद ही नहीं थे। इसके बाद विस्थापन के दौरान हुई दोबारा जांच में 74 और मकानों को फर्जी करार दिया गया। गूगल अर्थ की सैटेलाइट तस्वीरों से भी यह साबित हो गया कि जिन स्थानों पर मकान दिखाए गए थे, वहां खाली ज़मीन थी या खेती हो रही थी।

इस खुलासे के बाद एसडीएम कटघोरा ने सख्त रुख अपनाते हुए एसईसीएल प्रबंधन को पत्र जारी कर 152 फर्जी मकानों के मुआवजे को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि दोषियों की पहचान कर उन पर कानूनी कार्रवाई की जाए।

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस घोटाले में कई प्रभावशाली लोगों की मिलीभगत हो सकती है। क्योंकि बिना प्रशासनिक और विभागीय मिलीभगत के इतनी बड़ी गड़बड़ी संभव नहीं है। ग्रामीणों ने यह भी मांग की है कि पूरे भूमि अधिग्रहण और मुआवजा वितरण की उच्चस्तरीय जांच हो ताकि असली हकदारों के साथ अन्याय न हो।

इस पूरे घटनाक्रम ने एसईसीएल की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। पहले से ही कोयला खदान विस्तार परियोजनाओं में विस्थापन और मुआवजा को लेकर कई बार विवाद खड़े होते रहे हैं, लेकिन इस तरह का फर्जीवाड़ा सामने आना बताता है कि निगरानी तंत्र पूरी तरह फेल रहा।

फिलहाल प्रशासन ने मुआवजा रोक दिया है और जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। संभावना जताई जा रही है कि दोषियों पर जल्द ही एफआईआर दर्ज हो सकती है और मुआवजा घोटाले में शामिल कर्मचारियों और बिचौलियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।

स्थानीय प्रशासन ने लोगों से भी अपील की है कि अगर किसी के पास इस घोटाले से जुड़ी और कोई जानकारी है, तो वह सामने आकर जांच में सहयोग करें ताकि दोषियों को सजा दिलाई जा सके और भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों को रोका जा सके।

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