खरगे ने सरकार से पूछे सवाल, राजनाथ सिंह ने दिया ये जवाब

खरगे ने कहा कि मैं सबसे पहले पहलगाम में हुए क्रूर आतंकी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देता हूं और उनके परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।
नई दिल्लीः ऑपरेशन सिंदूर पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार को जमकर घेरा। खड़गे ने कहा कि मैं पहलगाम में हुए बर्बर आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। मैं उनके परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना भी व्यक्त करता हूं। मैं कहना चाहता हूं – मेहंदी वाले हाथों ने पति की लाश उठाई है, बेबस रोते बच्चों ने पापा की जान गंवई है, अश्रु भरे लाचार खादी बेबस नारी को देखा है, पहलगाम घाटी मैंने अपनों को मरते देखा है।”
खरगे ने केंद्र सरकार पर उठाए सवाल
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि पूरे देश और इस सदन के साथ, मैं (पहलगाम में) बर्बर हमले और पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों को लगातार समर्थन की निंदा करता हूं। हम हमेशा से पाकिस्तान और उसके द्वारा आतंकियों को समर्थन देने की निंदा करते आए हैं और आगे भी करेंगे। लेकिन हम इधर निंदा करते हैं, उधर मोदी जी दावत में जाकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को गले लगा लेते हैं।
किन शर्तों पर सीजफायर हुआ
केंद्र और पीएम मोदी की आलोचना करते हुए खरगे ने सरकार ने पूछा कि पाकिस्तान के साथ किन शर्तों पर सीजफायर हुआ। अचानक युद्ध विराम की घोषणा क्यों की गई। खरगे ने सरकार से पूछा कि किसके प्रेशर में युद्ध विराम का ऐलान किया गया। उन्होंने कहा कि भारत के साथ कोई भी देश खुलकर खड़ा नहीं हुआ। खरगे ने विदेश नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बयान पर पीएम मोदी चुप क्यों हैं। खरगे ने कहा कि केंद्र सरकार की विदेश नीति फेल हुई है।
राजनाथ सिंह ने दिया खरगे को जवाब
खरगे के सवालों का जवाब देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने सीजफायर के लिए फोन किया। दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच बातचीत के बाद सीजफायर हुआ। रक्षा मंत्री ने कहा कि पीएम मोदी से इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति से कोई बातचीत नहीं हुई।
खरगे ने सरकार पर बोला जमकर हमला
खरगे ने कहा कि लोकसभा के विपक्ष के नेता राहुल गांधी और मैंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी, लेकिन पत्र का कोई जवाब नहीं आया…हमारे पत्रों को कचरे के डिब्बे में डाल दिया जाता है। वे इसे पढ़ते भी नहीं हैं। अगर आपमें इतना अहंकार है, तो एक दिन आपके अहंकार को तोड़ने वाले लोग आएंगे। यह अच्छा नहीं है। आपके पास एक-दो वाक्य लिखने का समय नहीं है। लोगों के गले पड़ने की फुर्सत है।”