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शारदीय नवरात्रि 2023 : देवी मंदिरों में ज्योत कलश स्थापना हेतु पंजीयन शुरू

शारदीय नवरात्रि 2023 :

शारदीय नवरात्रि 2023 :

शारदीय नवरात्रि 2023 : राजधानी समेत प्रदेश के सभी देवी मंदिरों में ज्योति कलश स्थापना पंजीयन शुरू

शारदीय नवरात्रि 2023 : रायपुर। शारदीय नवरात्र पर राजधानी समेत प्रदेश के तमाम देवी शारदीय नवरात्रि 2023 मंदिरों में ज्योति कलश की स्थापना की जा रही है। ततसंबंध में यजमान पंजीयन कराने अभी से मंदिरों के चक्कर काट रहें हैं।

देवी मंदिरों में लगा भक्तों का तांता -

15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र का पर्व प्रारंभ हो रहा है। जो पूरे 9 दिन चलेगा

गौरतलब है कि 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र का पर्व प्रारंभ हो रहा है। जो पूरे 9 दिन चलेगा। दुर्गोत्सव सब प्रारंभ होते ही नवरात्र शुरू हो जाता है। इस अवसर पर देवी भक्त माता के नाम पर ज्योत-कलश स्थापित कर मनौतियां मनाते हैं। श्रद्धाभाव-आस्था के साथ ज्योत स्थापित करने वालों की मनोकामना पूरी होती है।

Navratri 2020: Jyoti Kalash blazed in Devi temples | देवी मंदिरों में प्रज्ज्वलित हुए मनोकामना ज्योति कलश, कोरोना काल में घरों में ही माता की आराधना | Patrika News

राजधानी समेत प्रदेश के सभी देवी मंदिरों में ज्योति कलश स्थापना पंजीयन शुरू

राजस्थानी के प्रसिद्ध महामाया मंदिर, काली माता मंदिर, का कंकाली तालाब मंदिर, बंजारीधाम मंदिर, सिद्धेश्वरी देवी मंदिर, समेत राज्य के अंदर रतनपुर देवी मंदिर, सक्ती के देवी मंदिर, डोंगरगढ़ स्थित मां बमलेश्वरी मंदिर, जगदलपुर स्थित माँ दंतेश्वरी मंदिर,अंबिकापुरदेवी मंदिर,चंद्रहासिनी देवी मंदिर रायगढ़, दुर्गा, नंदगांव, खैरागढ़, राजिम, कवर्धा, बेमेतरा, बलौदा बाजार, धमतरी,कांकेर आदि देवी मंदिरों में कलश स्थापना की जाती है जहां भक्तों की लाइन लगती है। इनमें पंजीयन शुरू हो गया है। आमतौर पर 1000-800 से लेकर 3500 से 5000 रुपए तक तेल-घी आदि के हिसाब से शुल्क तय है।

पूरे 9 दिन धार्मिक माहौल- जगराता, भजन- पूजन, कीर्तन, रामायण, रामचरितमानस पाठ आदि कार्यक्रम

कलश स्थापना उपरांत भक्त परिवार बाकायदा कलश दर्शन हेतु प्रथम, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी को मंदिर जाते हैं। इस दौरान ज्यादातर श्रद्धालु, देवी भक्त उपवास रखते हैं। पूरे 9 दिन माहौल धार्मिक हो जाता है। मंदिरों के निकट पूजा- प्रसादी, फल, फूल वाले स्टाल लगाते हैं। इस बीच जगराता, भजन- पूजन, कीर्तन, रामायण, रामचरितमानस पाठ आदि कार्यक्रम भी होते हैं।

(लेखक डॉ. विजय )

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