Jharkhand: आखिर क्यों हाईकोर्ट ने एक विधवा को पांच लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया? जानिए क्या है मामला

झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 2015 में पुलिस हिरासत में मारे गए उमेश सिंह की विधवा को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया। अदालत ने राज्य को मामले में शामिल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का भी आदेश दिया।

जून 2015 में धनबाद पुलिस ने उमेश सिंह नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार किया था। बाद में पुलिस की हिरासत में उमेश सिंह की मौत हो गई थी। उनके शरीर पर चोट के कई निशान पाए गए थे। इसके बाद मृतक की पत्नी बबीता देवी ने इंसाफ के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। गिरफ्तारी के बाद पुलिसकर्मियों ने बबीता देवी को बताया था कि उनके पति उमेश सिंह को सुबह रिहा कर दिया जाएगा। बाद में सिंह को मृत पाया गया था।

राज्य सरकार ने मामले की जांच सीआईडी को सौंपी थी, जिसने आरोपी पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया था। लेकिन मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इसे हिरासत में मौत का मामला पाया। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि पांच लाख रुपये की मुआवजा राशि छह सप्ताह के भीतर जारी की जानी चाहिए।

गुरुवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी ने कहा कि यह पुलिस की बर्बरता का स्पष्ट मामला है और सवाल किया कि पुलिस विभाग ने दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय स्तर पर कार्रवाई क्यों नहीं की, भले ही सीआईडी ने अपनी जांच रिपोर्ट में उन्हें दोषमुक्त कर दिया था।

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