Sharia Law: पूर्व-मुस्लिमों को शरिया कानून से छूट मिलेगी या नहीं? सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला
Sharia Law: यह मामला केरल की साफिया पीएम नाम की मुस्लिम महिला ने दर्ज कराया है। महिला का कहना है कि वह आस्तिक नहीं है और इसलिए विरासत को मुस्लिम पर्सनल लॉ के बजाय भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925 द्वारा शासित किया जाना चाहिए।
Sharia Law रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर नोटिस जारी किया है जिसमें यह घोषणा करने की मांग की गई है कि जो व्यक्ति मुस्लिम धर्म में पैदा हुआ था लेकिन आस्तिक नही है वह शरीयत कानून से शासित नही होगा।
दरअसल, यह याचिका केरल की सफिया पीएम नाम की एक मुस्लिम महिला ने दायर की है। महिला का कहना है कि वह आस्तिक नही है और इसलिए विरासत के संबंध में मुस्लिम पर्सनल लॉ के बजाय भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925 से शासित होना चाहिए। सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ में विस्तृत चर्चा के बाद इसे महत्वपूर्ण मुद्दा बताते हुए याचिका पर केंद्र और केरल राज्य का नोटिस जारी करने का फैसला किया।
पीठ ने अटॉर्नी जनरल से एक कानून अधिकारी को नामित करने का अनुरोध किया जो न्यायालय की सहायता कर सके।अगली सुनवाई जुलाई के दूसरे हफ्ते में होगी। बहरहाल याचिकाकर्ता ने तर्क दिया की गैर आस्तिक व्यक्ति शरीयत द्वारा शासित नही होगा। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा जिस वक्त आप मुस्लिम के रूप में पैदा होते हैं आप शरीयत कानून द्वारा शासित होते हैं।
विरासत का बंटवारा मुस्लिम पर्सनल लॉ के बजाय भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925 के अनुसार किया जाना चाहिए
आपके हक आस्तिक या गैर आस्तिक होने से नियंत्रित नही होते। पीठ ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि अदालत अनुच्छेद 32 के तहत किसी व्यक्ति पर पर्सनल लॉ लागू न होने की घोषणा कैसे कर सकती है ? याचिकाकर्ता के वकील का कहना था कि संविधान का अनुच्छेद 25 गैर आस्तिक होने का भी अधिकार देता है और अदालत के पास ऐसी घोषणा की व्यापक शक्तियां हैं। साफिया पीएम पूर्व मुसलमानों के एक संगठन की अध्यक्ष है। याचिकाकर्ता का कहना है कि उनके पिता उसे संपत्ति का एक तिहाई से अधिक हिस्सा नह दे सकते। दो-तिहाई हिस्सा उसके भाई के मिलेगा, जो डाउन सिंड्रोम से पीड़ित है जबकि वह ताउम्र भाई की देखभाल करेगी।