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इंडिगो केस: 4 गुना मुआवजा की मांग, दिल्ली हाई कोर्ट का याचिका पर सुनवाई से इनकार

याचिका में केंद्र सरकार को इंडिगो के खिलाफ कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 के सेक्शन 2(5)(iii) और 35(1)(d) के तहत क्लास एक्शन सूट शुरू करने का निर्देश देने की मांग की गई है. कोर्ट ने कहा कि PIL फायदा उठाने के लिए नहीं होतीं. आपको उस मामले में इंप्लीमेंटेशन लेना चाहिए था और हम इसकी इजाजत देते.

दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को NGO सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमिक चेंज (CASC) की तरफ से फाइल की गई एक जनहित याचिका पर कोई भी निर्देश देने से इनकार कर दिया. इस पिटीशन में इंडिगो मामले के लिए डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) के खिलाफ जांच और इंडिगो फ्लाइट्स कैंसिल होने की वजह से एयरपोर्ट पर फंसे पैसेंजर्स को 4 गुना मुआवजा देने की मांग की गई थी.

दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने कहा कि इंडिगो फ्लाइट कैंसिलेशन मामले पर एक PIL पहले से ही हाई कोर्ट में पेंडिंग है और पिटीशनर को नई PIL फाइल करने के बजाय उस मामले में इंप्लीमेंटेशन की मांग करनी चाहिए थी.

सुनवाई से क्यों इनकार?

कोर्ट ने PIL के पीछे याचिकाकर्ता के मकसद पर सवाल उठाया और कहा कि पिटीशनर के लिए सबसे अच्छा तरीका पेंडिंग PIL में इंप्लीमेंटेशन की मांग करना होता. कोर्ट ने कहा कि PIL फायदा उठाने के लिए नहीं होतीं. आपको उस मामले में इंप्लीमेंटेशन लेना चाहिए था और हम इसकी इजाजत देते. कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि इस PIL में उठाए गए मुद्दों पर कोर्ट पहले की PIL में पहले से ही विचार कर रहा है. इसलिए, कोर्ट ने PIL पर सुनवाई करने से मना कर दिया और याचिकाकर्ता को पेंडिंग केस में खुद को शामिल करने की आज़ादी दे दी.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस कोर्ट ने पहले ही इस मुद्दे पर ध्यान दिया है और इस पिटीशन में उठाए गए मुद्दों पर इस रिट पिटीशन में बहुत अच्छी तरह से बात की जा सकती है. इसलिए, हमें लगता है कि पिटीशनर का रिट पिटीशन में शामिल होना सही है. हालांकि, पिटीशनर के वकील का कहना है कि यहां प्रार्थना अलग है. हमें कोई कारण नहीं दिखता कि इस PIL में उठाई गई चिंताओं पर पहले की PIL में ध्यान क्यों नहीं दिया जा सकता. PIL के बारे में सुप्रीम कोर्ट और देश भर के अलग-अलग हाई कोर्ट द्वारा बनाया गया ज्यूरिस्प्रूडेंस कोर्ट को पिटीशन का दायरा बढ़ाने की इजाज़त देता है, अगर यह पब्लिक इंटरेस्ट में लगता है. इसी वजह से हम इस रिट पिटीशन पर सुनवाई करने से मना करते हैं और पिटीशनर को पहले की PIL में शामिल होने की आज़ादी देते हैं.

दरअसल, इंडिगो संकट से जुड़ी पेंडिंग PIL पर कोर्ट ने 10 दिसंबर को सुनवाई की थी, जब कोर्ट ने इंडिगो को प्रभावित यात्रियों को मुआवज़ा पक्का करने का आदेश दिया था. उस मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार को गलती करने वाली एयरलाइंस के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमिक चेंज (CASC) की नई याचिका में कहा गया है कि इंडिगो के बदले हुए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों का पालन न करने से देश भर में एविएशन संकट पैदा हो गया, जिसके कारण 5,000 से ज़्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हो गईं.

याचिका में क्या कहा गया था?

याचिका में कहा गया है कि इस रुकावट के कारण यात्री बड़े एयरपोर्ट पर फंसे रहे और उन्हें कम्युनिकेशन की कमी, रिफंड में देरी और सरकार द्वारा लगाई गई लिमिट के बावजूद हवाई किराए में भारी बढ़ोतरी की शिकायतें मिलीं. याचिका में केंद्र सरकार को इंडिगो के खिलाफ कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 के सेक्शन 2(5)(iii) और 35(1)(d) के तहत क्लास एक्शन सूट शुरू करने का निर्देश देने की मांग की गई है.

याचिका के मुताबिक, DGCA अपनी ड्यूटी में फेल रहा है और इसलिए, एक रिटायर्ड जज या लोकपाल को उसकी लापरवाही और संकट को बढ़ाने में उसकी भूमिका की जांच करनी चाहिए. याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता संगठन की ओर से पेश वकील विराग गुप्ता ने कहा कि इंडिगो की हरकतों की वजह से 12.5 लाख यात्रियों को नुकसान हुआ है. उन्होंने आगे कहा कि सरकार को एयरलाइन के खिलाफ क्लास एक्शन सूट शुरू करना चाहिए क्योंकि सभी यात्रियों में मुआवजे के लिए कंज्यूमर फोरम जाने की क्षमता नहीं होती है. हर कोई कंज्यूमर कोर्ट नहीं जा सकता.

कोर्ट ने पूछा कि हमें कानून समझाएं. अगर क्लास एक्शन सूट होता है, तो क्या सभी को कंज्यूमर कोर्ट जाना होगा? विराग गुप्ता ने कहा कि एक और PIL में कोर्ट के निर्देशों के बावजूद, अब तक रिफंड नहीं दिया गया है. वे कोई मुआवज़ा नहीं दे रहे हैं. चार गुना मुआवज़ा उनकी पॉलिसी का हिस्सा है. उन्होंने कोई रिफंड नहीं दिया है.

केंद्र सरकार की ओर से दखल देते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि आप इसे चार गुना तक क्यों सीमित कर रहे हैं. यह चार हज़ार गुना हो सकता है. विराग गुप्ता ने बताया कि आज तक, इंडिगो को कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है. CEO को नोटिस जारी किया गया है.

चार गुना मुआवज़े के लिए कैसे ज़ोर देंगे?

हालांकि, कोर्ट ने कहा कि चूंकि इस विषय पर एक मामला पेंडिंग है, इसलिए कई केस होने से यात्रियों को मदद नहीं मिल सकती है. कोर्ट ने पूछा कि कई केस होने से यात्रियों को क्या फ़ायदा होगा. आप पहले की PIL में शामिल होने की मांग क्यों नहीं करते? कोर्ट ने यह भी कहा कि पिटीशनर केंद्र सरकार को क्लास एक्शन केस चलाने और चार गुना हर्जाना देने का निर्देश देने की रिक्वेस्ट कर रहा था. बेंच ने कहा कि दोनों प्रार्थनाएं एक साथ नहीं चल सकतीं क्योंकि अगर कोई क्लास एक्शन सूट शुरू किया जाता है, तो मुआवज़े की रकम तय करना संबंधित कंज्यूमर फोरम पर निर्भर करेगा.

कोर्ट ने पूछा कि क्या दिए जाने वाले नुकसान को तय करने के लिए कोई कानूनी तरीका है? क्लास एक्शन के लिए, अगर कोई क्लास एक्शन किया जाता है, तो क्या यह कोर्ट मुआवज़ा देने के मामले में आगे बढ़ पाएगा? आपकी प्रार्थनाएं नुकसान और क्लास एक्शन के लिए हैं. आप उनमें से सिर्फ़ एक पर ज़ोर दे सकते हैं. अगर आप हमसे केंद्र सरकार को क्लास एक्शन शुरू करने का निर्देश देने के लिए कह रहे हैं, तो रकम कंज्यूमर कोर्ट तय करेगा. इस नज़रिए से, आप चार गुना मुआवज़े के लिए कैसे ज़ोर देंगे? आखिरकार कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया.

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