सॉरी नीरज——नजर नहीं आए कथित दीवाने …!
भारत के लाल का फिर कमाल
नई दिल्ली। भारत की क्रिकेट में एक साधारण से जीत पर चौक -चौराहों पर आतिशबाजी करने वाले-खेल के दीवाने, विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाला फेक में देश के हीरो नीरज चोपड़ा के शनिवार को स्वर्ण पदक जीतने पर नदारद रहे।
बुडापेस्ट में शनिवार को ओलंपिक चैम्पियन भारत के नीरज चोपड़ा ने- एक बार फिर भाला फेक में अपनी- धाक जमाते स्वर्ण पदक जीता। वे विश्व चैंपियनशिप जीतने वाले पहले भारतीय हैं। नीरज ने 88.17 मीटर भाला फेक, तिरंगा झंडा गड़ा दिया। उन्होंने पाकिस्तान के नदीम अहमद को शिकस्त दी। नदीम 87.8 मीटर के साथ दूसरे स्थान पर रहें उन्हें रजत पदक मिला। भारत के युवा द्वय किशोर जेना, डीपी मनु क्रमशः पांचवे- छठवें नंबर पर रहें।
नीरज चोपड़ा पर भारतवासियों को गर्व हैं। जिन्होंने ओलंपिक के बाद विश्व एथलेटिक्स में भी देश का नाम ऊंचा करते हुए स्वर्ण पदक जीता हैं। युवाओं को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। पर शनिवार को नीरज की जीत का जश्न मनाने युवा भारतीय शहरों के चौक-चौराहों पर नजर नहीं आए सॉरी नीरज——–! वैसे हैरत नहीं हुई। साधारण से क्रिकेट मैच में पाक पर भारत की जीत के बाद सड़कों, गलियों, चौक-चौराहों पर आतिशबाजी करने वाले युवा शनिवार को नहीं दिखे। तब भी नहीं जबकि उसने स्वर्ण पर कब्जे के साथ पाकिस्तान के नदीम को हराया। जबकि नदीम खुद में बेहतरीन खिलाड़ी है।
एक वरिष्ठ खिलाड़ी एथलेटिक्स रहे हैं ने टिप्पणी की- यही वजह है कि भारत में एथलेटिक्स अच्छी-खासी सफलता के बाद भी कई खिलाड़ी प्रदर्शन में नियमितता या दोहराव नहीं कर पाते। उन्हें जो समर्थन, प्यार, स्नेह मिलना चाहिए वह नहीं मिल पाता। जबकि क्रिकेट में हाथों-हाथ उठा लेते हैं। उसमें एक-दो नहीं 11 खिलाड़ी के चलते सफलता मिलती हैं। यहां तो एथलेटिक्स में अकेले जूझते हैं। अफसोस यह चीज (व्यक्तिगत खेल) भी उन्हें नहीं दिखती। विजयी एथलेटिक्स गरीबी भरा,संघर्षपूर्ण जीवन जीने बाध्य है क्रिकेटर सामूहिक खेल कुछ बरस खेल कर अमीर बन सुविधा भरा आरामदायक जिंदगी गुजारते हैं। बहरहाल नीरज चोपड़ा भारत को तुम पर गर्व है। इतिहास के पन्नों पर तुमने अपना नाम लिख दिया। देश के माथे पर फिर तिलक तुमने किया। शुभकामनाएं नीरज।