नक्सली समस्या से बचने के लिए हमें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करना होगा

सर्चिंग ऑपरेशन के दौरान इंद्रावती नदी के उस पार बीजापुर दंतेवाड़ा की सीमा पर नक्सलियों ने फिलिस्तीन के हमास (सैन्य संगठन) जैसे आतंकवादियों की तर्ज पर घने जंगलों के बीच एक लंबी बंकर जैसी सुरंग बनाई थी- यह देखकर पुलिस और फोर्स की आंखें खुली रह गईं।
नक्सलवाद समस्या : बस्तर में नक्सलियों को हल्के में लेना भारी पड़ सकता है। बस्तर पुलिस एवं फोर्स ने फोर्स के नए कैंप का जो बीड़ा उठाया है उसे हर हाल में पूरा करने की बात कही है। 2 दिन पूर्व कैंप की सुरक्षा व्यवस्था से जुड़ने निकले फोर्स में दल पर नक्सलियों ने जिस तरह तबाड़ -तोड़ कायरना हमला छिपकर किया जिसमें हमारे तीन जवान शहीद हो गए। जिसके बाद सर्चिंग अभियान के दौरान इंद्रावती नदी पार बीजापुर दंतेवाड़ा की सीमा पर नक्सलियों ने घने जंगलों के बीच फिलिस्तीन के हमास (सैन्य संगठन) जैसे आतंकवादियों की तर्ज पर लंबी बंकर जैसी सुरंग बना रखी थी- उसे देख पुलिस एवं फोर्स की आंखें फटी की फटी रह गई। जिसके प्रवेश मार्ग को लट्ठों झाड़ियाें और मिट्टी से ढका गया था।
बीजापुर जिले में छह फीट गहरी सुरंग खोजी गई है-
दंतेवाड़ा अपर पुलिस अधीक्षक आर.के. बर्मन ने बताया है कि बीजापुर जिले में 130 मीटर लंबी छह फीट गहरी सुरंग का पता चला है। इसकी पुष्टि बस्तर आईजी सुंदरराज ने की है। सुरक्षा कर्मियों की एक संयुक्त टीम नक्सल विरोधी अभियान चला रही थी तब तोडोपत उसपारी गांव के पास गश्त के दौरान सुरंग देखी।
फ़िलिस्तीनी हमलावर हमास ऐसे बंकरों का प्रयोग करते हैं-
उधर पुलिस अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि नक्सलियों द्वारा बनाई गई इस तरह की सुरंग-बस्तर ही नही, छत्तीसगढ़ में पहली बार मिली है। यहां तक की दूसरे राज्यों में भी नक्सलियों द्वारा इस तरह की सुरंग तैयार करने की जानकारी अब तक नही है। बहरहाल फिलिस्तीनी आतंकवादी हमास समेत ईरान,इराक में भी आतंकवादी इस तरह का बंकर उपयोग करते हैं। माना जा रहा है कि नक्सलियों ने बस्तर के अंदर कई जगहों पर घने जंगल का फायदा उठाकर इस तरह की सुरंग या बंकर बनाई होगी। गौरतलब हो कि नक्सली अक्सर छिपकर बड़ी संख्या में फोर्स या पुलिस वालों पर हमला करते रहे हैं। जिसमें अब तक सैकड़ो जवान शहीद हुए हैं। बहुत संभव है कि नक्सली हमला बाद ऐसी सुरंग या बंकरों का इस्तेमाल छिपने या जंगल, पहाड़ी पार करने के लिए करते रहे हो। या कि सुरक्षा के तहत निर्णय हो। पुलिस का खुफिया विभाग अब इस बंकर की डिजाइन को लेकर खोज खबर लेने में जुट गया है।
सभी नक्सल प्रभावित राज्यों और केंद्र सरकार को मिलकर कदम उठाना चाहिए-
बहुत संभव है कि हवाई हमलों, ड्रोन से बचने या घटनाओं बाद अचानक गायब होने के लिए नक्सली ऐसी सुरंग या बंकर का इस्तेमाल करते रहें हो। जो भी हो बस्तर पुलिस एवं फोर्स को अपना अभियान और तेज चलाना होगा। नक्सली बौखलाहट में है। वे बस्तर जैसा घना वन क्षेत्र इतनी आसानी से नहीं छोड़ने वाले है। फिर वनोपज की तस्करी करके धनार्जन कर रहें हैं। तो वहीं व्यापारी वर्ग, ठेकेदारों से उगाही करते हैं। इलाकों पर पकड़ बनाए रखने वे स्थानीय लोगों (वन ग्राम वासियों) पर अनेक किस्मों का भारी दबाव बनाए रखते हैं। नक्सल समस्या का खत्मा इतना आसान नही है, दूसरा नक्सलियों की पहचान भी सरल नही है। नक्सलियों के चलते निर्दोष वनग्रामीण मारे न जाए इसका डर पुलिस एवं फोर्स को रहता है। इन्हीं के कंधों को सहारा लेकर नक्सली अपना अभियान चलाते हैं। नक्सल प्रभावित तमाम राज्य एवं केंद्र सरकार मिलकर संयुक्त कदम उठाए तो कुछ सफलता मिले। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राजनीतिक दलों को भी आगे साथ आना होगा। इस समस्या में सर्वाधिक बस्तर के वन्यांचल के ग्रामीण सबसे ज्यादा पीड़ित प्रभावित हैं।नक्सली जानते हैं कि एक सीमा के बाद बस्तर पुलिस और फोर्स आगे नहीं बढ़ सकती। दूसरे अर्थों में कहें तो नक्सली यहां से पुलिस बल की कमजोर नब्ज पकड़कर कार्रवाई करते हैं।