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Pitru Paksha Shraddha 2023: पितृपक्ष 30 से, ट्रेनों के स्थगन से बाधा …!

नर्मदा, काशी, प्रयागराज, गया, बोधगया जाने वाले असामंजस्य में

Pitru Paksha Shraddha 2023: रायपुर। सनातनियों में पूर्वजों के स्मरण एवं श्राद्ध स्वरूप Pitru Paksha Shraddha 2023: पितर यानि पितृ पक्ष (पखवाड़ा) 30 सितंबर से प्रारंभ होगा। मान्यता अनुरूप पूर्वज इस दौरान आते हैं जिनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कार्य किया जाता है। लोग पवित्र नदियों-जलाशयों में यथाशक्ति श्राद्ध करते हैं। इस बाबत नर्मदा (अमर कंटक ), प्रयागराज (इलाहाबाद), काशी, गया, बोध गया आदि स्थानों की पवित्र नदियों में जाकर श्राद्ध करने हैं। पर इस बार ट्रेनों के परिचालन में अरसे से जारी रुकावट आवागमन में बाधा खड़ी कर रही है। लोग असामंजस्य की स्थिति में हैं।

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दक्षिण-मध्य पूर्व रेलवे परिक्षेत्रों में अरसे से सुधार कार्य- सेक्शन स्तरों पर जारी

Pitru Paksha Shraddha 2023: दरअसल दक्षिण-मध्य पूर्व रेलवे परिक्षेत्रों में अरसे से सुधार कार्य- सेक्शन स्तरों पर जारी हैं। जिसके चलते दर्जनों ट्रेनों को परिवर्तित मार्गों से चलाया जा रहा है। तो कुछ को आधे मार्ग पर। वही एक चौथाई स्थगित या लंबित हैं। इस वजह से श्राद्ध कार्य हेतु उपरोक्त स्थानों पर जाने वालों के समक्ष बाधा आ रही है। वे असामंजस्य के दौर में है। आमतौर पर पितृ-पक्ष में यथासंभव कोशिश रहती है कि जिन तिथियाें (पन्द्रह दिन के अंदर हिंदू पंचांग अनुसार) पर पूर्वजों का स्वर्गवास हुआ होता है उन तिथियाें पर श्राद्ध करना ज्यादा श्रेयस्कर होता है। लिहाजा ऐसी तिथियाें पर ट्रेनें उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं या संबंधित तिथियाें पर गंतव्य नहीं पहुंचा पा रही हैं।

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निजी वाहन या टैक्सी से जाना और महंगा पड़ता है

Pitru Paksha Shraddha 2023: उपरोक्त स्थिति में लंबी दूरी बस से तय करना थकावट भरा एवं खर्चीला भी है। तो वहीं निजी वाहन या टैक्सी से जाना और महंगा पड़ता है। उधर श्राद्ध कार्य में पण्ड्या, पंडा, पंडित अपना शुल्क बढ़ा देते हैं। सर्वाधिक लोग प्रयागराज या गया जाना पसंद करते हैं। मान्यता है कि प्रभु श्री राम माता सीता, श्री कृष्ण भगवान बलराम, अर्जुन एवं अन्य देवों ने गया में पितृ पक्ष पर श्राद्ध किया था। गया स्थित फल्गु नदी एवं विष्णु पथ पर भारी भीड़ होती है। खासकर विष्णु पथ पर पैर रखने-चलने की जगह नहीं होती। लोग भीड़ में स्वतः सरकते आगे बढ़ते हैं। वैसे आधे लोग अपने शहरों के, राज्यों के अंदर पवित्र नदियों मसलन त्रिवेणी संगम राजिम,महानदी (महासमुन्द,आरंग ) शिवनाथ (दुर्ग, भिलाई) अरपा (बिलासपुर) खारुन (रायपुर) इंद्रावती (जगदलपुर) आदि नदियों पर श्राद्ध कार्य करते हैं।

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सनातनियों के लिए पितृ पक्ष महत्वपूर्ण होता है

Pitru Paksha Shraddha 2023: सनातनियों के मध्य पितृ पक्ष महत्वपूर्ण होता है। इसकी अनदेखी नहीं की जाती। अन्यथा की स्थिति में पितर (पूर्वज) नाराज हो जाने या भूखे रह जाने की आशंका बनी रहती है। अगर पूर्वज (पितर) भूखे रह जाते हैं तो यह परिवार के लिए कतई अच्छा नहीं माना जाता हैं। यह भी कहा जाता है कि पूर्वज साल में एक बार देखने आते हैं कि वंशज कैसे हैं – वंशजों को सुखमय देख उन्हें प्रसन्नता होती है वे आशीर्वाद देते हैं। उनके (पितर) 15 दिवसीय प्रवास पर नाना प्रकार के व्यंजन का भोग यथासंभव सनातनी लगाते है। कौओं के दिखाई देने- घरों की छतों पर मंडराने को पितरों के पहुंच जाने का संकेत माना जाता है। पितरों और कौओं को भोज कराने के बाद वंशज भोजन ग्रहण करते हैं। खासकर पति-पत्नी।

(लेखक डॉ विजय )

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