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Lok Sabha Election : ‘मेरे पास लोकसभा चुनाव लड़ने का पैसा नहीं’, निर्मला सीतारमण ने क्यों किया ये दावा?

Nirmala Sitharaman

Lok Sabha Election : निर्मला सीतारमण ने कहा कि मेरे टिकट को अस्वीकार कर दिया है क्योंकि मेरे पास चुनाव लड़ने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है।

Lok Sabha Election : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बुधवार को कहा कि सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने चुनावी बॉन्ड भुनाए हैं। किसी को कुछ भी कहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है क्योंकि यह कानूनी था और कानून के मुताबिक है। वहीं उन्होंने लोकसभा चुनाव से टिकट को लेकर कहा कि मैंने टिकट को अस्वीकार कर दिया है, क्योंकि मेरे पास चुनाव लड़ने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है।

चुनाव लड़ने के लिए मेरे पास पैसा नहीं- निर्मला सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि उन्होंने चुनाव लड़ने के भाजपा के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है, क्योंकि उनके पास लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है। उन्होंने कहा, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें आंध्र प्रदेश या तमिलनाडु से चुनाव लड़ने का विकल्प दिया था। उन्होंने कहा कि एक हफ्ते या दस दिनों तक सोचने के बाद, मैं कहा नहीं..मेरे पास चुनाव लड़ने के लिए उस तरह का पैसा नहीं है।

बेहतर प्रणाली लाने के लिए चर्चा की जरूरत- सीतारमण
एक निजी कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि निर्मला सीतारमण ने कहा कि चुनावी बॉन्ड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुद्देनजर चुनावी फंडिंग के लिए बेहतर प्रणाली लाने के लिए और अधिक बहस की जरूरत है। मंत्री ने कहा कि कानून, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है, संसद द्वारा पारित किया गया था और बॉन्ड उस समय प्रचलित कानून के मुताबिक खरीदे गए थे।

जो लगा रहे आरोप उन्होंने भी भुनाया बॉन्ड- सीतारमण
निर्मला सीतारमण ने कहा कि वही पार्टी जो अब कहती है कि यह एक घोटाला है, यह एक घोटाला है, उसने भी बॉन्ड के जरिए पैसा लिया था। मुझे बताएं कि किसी को बोलने का क्या नैतिक अधिकार है क्योंकि यह तब कानून था। चुनावी बॉन्ड की प्रणाली अभी भी पिछली प्रणाली से बेहतर थी, हम अब उसी स्थिति में हैं। हमें कुछ बेहतर करने की जरूरत है, लेकिन बहुत अधिक काम करने की जरूरत है।

गौरतलब है कि पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि चुनावी बॉन्ड योजना संविधान के तहत सूचना के अधिकार और भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है। उन्होंने ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के छापे और बॉन्ड खरीद के बीच संबंध के आरोपों को भी खारिज कर दिया।

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