Leader of Opposition: कितना ताकतवर होता है नेता विपक्ष का पद

Leader of Opposition: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को अब नेता प्रतिपक्ष की अहम जिम्मेदारी मिलने जा रही है, इस पद पर उनकी भूमिका बड़ी हो जाएगी।

Leader of Opposition: हाथ में संविधान की कॉपी लेकर लोकसभा सदस्य के तौर पर शपथ लेने वाले राहुल गांधी 18वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष होंगे। अब तक किसी बड़ी जिम्मेदारी से बचते रहे राहुल 20 साल के राजनीतिक सफर में पहली बार किसी संवैधानिक पद पर आसीन होने जा रहे हैं। इंडिया गठबंधन ने भी उनके नाम पर मुहर लगा दी है और कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने प्रोटेम स्पीकर को इस बारे में पत्र भी भेज दिया।

क्यों बेहद अहम है ये पद?
राहुल को अब नेता प्रतिपक्ष की अहम जिम्मेदारी मिलने जा रही है, इस पद पर उनकी भूमिका बड़ी हो जाएगी। वो सरकार के आर्थिक फैसलों की समीक्षा कर पाएंगे और सरकार के फैसलों पर अपनी टिप्पणी भी कर सकेंगे। राहुल गांधी उस लोक लेखा समिति के भी प्रमुख बन जाएंगे, जो सरकार के सारे खर्चों की जांच करती है और उनकी समीक्षा करने के बाद टिप्पणी भी करती है।

नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल की भूमिका-
सरकार के आर्थिक फैसलों की समीक्षा कर सकेंगे
लोक लेखा समिति के प्रमुख होंगे राहुल गांधी
सरकारी खर्चों पर टिप्पणी कर सकेंगे राहुल

राहुल गांधी के पास होंगे ये अधिकार-
राहुल गांधी अब नेता प्रतिपक्ष के तौर उस कमिटी का भी हिस्सा होंगे जो CBI डायरेक्टर, CVC यानि सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर, मुख्य सूचना आयुक्त, लोकपाल या लोकायुक्त, नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन के चेयरपर्सन और सदस्य और मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करती है।
इन सारी नियुक्तियों में राहुल नेता प्रतिपक्ष के तौर पर उसी टेबल पर बैठेंगे, जहां पीएम मोदी बैठेंगे और ऐसा पहली बार होगा, जब इन फैसलों में प्रधानमंत्री को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी से भी सहमति लेनी होगी।
नेता प्रतिपक्ष होने के बाद वह सरकार के आर्थिक फैसलों की लगातार समीक्षा कर पाएंगे और सरकार के फैसलों पर अपनी टिप्पणी भी कर सकेंगे।
सबसे बड़ी बात ये है कि संसद की मुख्य समितियों में राहुल बतौर नेता प्रतिपक्ष के रूप में शामिल होंगे और उनके पास ये अधिकार होगा कि वो सरकार के कामकाज की लगातार समीक्षा करते रहेंगे।

गांधी परिवार को तीसरी बार मिला नेता प्रतिपक्ष का पद
राहुल की लोकसभा के अंदर भी सक्रियता बढ़ेगी और वो महत्वपूर्ण विषयों पर उसी तेवर के साथ बोलते दिख सकते हैं जैसा पिछले दिनों वो तेवर में दिखते रहे हैं। राहुल कल विपक्ष को डिप्टी स्पीकर पद देने की मांग पर भी मुखर नजर आए थे। नेहरू-गांधी परिवार को तीसरी बार नेता प्रतिपक्ष का पद मिला है। राहुल से पहले उनकी मां सोनिया गांधी और पिता राजीव गांधी भी नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। सोनिया गांधी ने अक्टूबर 1999 से फरवरी 2004 तक नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभाई है जबकि राजीव गांधी 18 दिसंबर 1989 से 24 दिसंबर 1990 तक नेता विपक्ष रह चुके हैं।

3 बार अमेठी से और एक बार वायनाड से सांसद रहे हैं राहुल
2004 से चुनावी राजनीति में सक्रिय राहुल चौथी बार सांसद बने हैं। वो तीन बार अमेठी से और एक बार वायनाड से सांसद रहे हैं लेकिन संसद या सरकार में राहुल किसी अब तक किसी पद पर नहीं रहे हैं जबकि 2004 से 2014 तक कांग्रेस की ही केंद्र में सरकार रही। हालांकि राहुल ने कांग्रेस संगठन में महत्वपूर्व भूमिका निभाई है। वो यूथ कांग्रेस और NSUI के प्रभारी रह चुके हैं। राहुल को 2013 में कांग्रेस उपाध्यक्ष बनाया गया और 2017 में पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया। लोकसभा चुनाव 2019 में पार्टी की हार के बाद राहुल ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। लोकसभा चुनाव से काफी पहले से ही राहुल काफी सक्रिय हो गए थे उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा, भारत जोड़ो न्याय यात्रा और चुनाव प्रचार के दौरान संविधान बचाओ अभियान के साथ पार्टी का नेतृत्व संभाला।

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