Holi Bhai Dooj: आखिर क्यों मनाया जाता है होली का त्योहार? जानिए क्या है इसकी मान्यता
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Holi Bhai Dooj:
Holi Bhai Dooj: धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भाई अपनी बहनों के घर जाकर भोजन करते हैं और तिलक लगवाते हैं। ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
Holi Bhai Dooj: भाई दूज का त्यौहार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, इसे भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस साल भाई दूज 27 मार्च को मनाया जाएगा। परंपरागत रूप से यह त्योहार भाई-बहन के बीच स्नेह के बंधन को मजबूत करता है। उत्तर प्रदेश और बिहार के अवध और पूर्वांचल क्षेत्रों में इसे भैया दूज के रूप में भी जाना जाता है, इसे नेपाल और बिहार में विभिन्न अन्य जातीय समूहों के लोगों द्वारा भारदुतिया के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं। भाई दूज को कई नामों से जाना जाता है। भाई टीका, भ्रातृ द्वितीया का त्योहार दिवाली और होली के दूसरे दिन मनाया जाता है। इस दिन का उत्सव रक्षा बंधन के त्योहार के समान है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भाई अपनी बहनों के घर जाकर भोजन करते हैं और तिलक लगवाते हैं। ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
जानें, भाई को टीका लगवाने का सही मुहूर्त
होली भाई दूज पर भाई को तिलक लगाने के दो शुभ मुहूर्त हैं। पहला मुहूर्त सुबह 10.54 बजे से दोपहर 12.27 बजे तक है। वहीं, दूसरा मुहूर्त दोपहर 03:31 बजे से शाम 05:04 बजे तक रहेगा।
भाई दूज के दिन सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े धारण कर लें। इसके बाद केसर और लाल चंदन का तिलक तैयार करें। पहले गणेश जी को फिर भगवान विष्णु को तिलक लगाएं। इसके बाद भाई को उत्तर या पूर्व दिशा में बिठाकर तिलक लगाएं। इसके बाद भाई को उत्तर या पूर्व दिशा में बिठाकर तिलक लगाएं। इसके बाद भाई को उत्तर या पूर्व दिशा में बिठाकर तिलक लगाएं। ।
एक पौराणिक कथा के अनुसार यमराज ने अपनी बहन के घर जाकर तिलक किया और भोजन किया, इसके बाद यमराज ने अपनी बहन को आशीर्वाद दिया और कहा कि यदि भाई अपनी विवाहित बहन के घर जाकर भोजन करने के साथ तिलक लगवाएंगे तो अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जायेगा। तभी से यह दिन होली, दीपावली पर पड़ने वाली दूज को भाई दूज के नाम से मनाया जाता है।