MBBS सिम्स बिलासपुर का मामला पहुंचा हाईकोर्ट, छात्र ने द्वितीय वर्ष की परीक्षा देने की मांगी अनुमति

छत्तीसगढ़ न्यूज :
छात्र ने कॉलेज के फैसले को हाईकोर्ट बिलासपुर में चुनौती दी। जिस पर कोर्ट ने क्लास अटेंडेंस और क्लिनिकल पोस्टिंग को आधार मानते हुए छात्र को परीक्षा में बैठने की इजाजत दे दी।
छत्तीसगढ़ न्यूज : छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान सिम्स बिलासपुर में एक विद्यार्थी MBBS फर्स्ट ईयर पास हुए बिना बकायदा सेकंड ईयर की कक्षा में बैठता रहा। कॉलेज प्रबंधन को तब होश नही आया। इतना ही नही प्रबंधन ने उसकी क्लीनिकल पोस्टिंग भी लगा दी। पर जब वार्षिक परीक्षा फार्म भरा जाने लगा। तब कॉलेज की गड़बड़ी सामने आई। गड़बड़ी मानते हुए कॉलेज ने छात्र को परीक्षा के लिए नियमों का हवाला देते हुए अपात्र घोषित कर दिया।
तब विद्यार्थी ने कॉलेज के फैसले को हाई कोर्ट बिलासपुर में चुनौती दी
विद्यार्थी ने तब कॉलेज के निर्णय को हाई कोर्ट बिलासपुर में चुनौती दी। जिस पर कोर्ट ने क्लास अटेंड एवं क्लीनिकल पोस्टिंग को बेस (आधार) मानते हुए छात्र को परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी।
हाईकोर्ट ने कॉलेज डीन को किया तलब
हाईकोर्ट ने कॉलेज के डीन को तलब किया। डीन ने NMC के नार्म्स का हवाला देते हुए छात्र को सेकंड ईयर की परीक्षा में बिठाने से इंकार किया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि विद्यार्थी 3 माह में फर्स्ट ईयर पास होने के बाद सेकंड ईयर की परीक्षा नही दे सकता। इस पर हाई कोर्ट ने डीन को फटकारते हुए कहा कि जब नियम ही नहीं है तो छात्र को सेकंड ईयर की क्लास में क्यों बिठाया गया ? क्यों उसकी क्लीनिकल पोस्टिंग की गई? क्यों प्री यूनिवर्सिटी व टर्मिनल एग्जाम दिया गया। हाई कोर्ट के सवाल उपरांत डीन को माफी मांगनी पड़ी।
सिम्स डीन ने कहा है कि हाईकोर्ट के आदेश बाद छात्र सेकंड ईयर की मुख्य परीक्षा दे रहा है सिम्स अब डबल बेंच में हाईकोर्ट के निर्णय को चुनौती देगा। NMC नार्म्स के अनुसार कोई भी छात्र तीन माह में एक या एक से दूसरी क्लास की परीक्षा नही दे सकता।
छात्र ने 2021-22 में MBBS में फर्स्ट ईयर में प्रवेश लिया था
छात्र ने 2021-22 में MBBS में फर्स्ट ईयर में प्रवेश लिया था पर हाजिरी कम होने से (शार्ट अटेंडेंस) उसके समेत 54 छात्रों की मुख्य परीक्षा में बैठने से अपात्र कर दिया था। जिसके बाद पूरक परीक्षा हुई तो छात्र एनाटॉमी में फेल हो गया इसके बाद वह नियमित तौर पर दूसरे वर्ष की क्लास अटैंड करता रहा। कॉलेज को होश नही आया। उसकी क्लीनिकल पोस्टिंग शुरू हो गई। टर्मिनल समेत प्री यूनिवर्सिटी परीक्षा भी देता रहा। तब भी कॉलेज प्रबंधन नही जान पाया। इस मामले को घोर लापरवाही मानते हुए कॉलेज प्रबंधन ने फार्माकोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी एवं पैथोलॉजी के एचओडी को नोटिस जारी करते हुए 6 बिंदुओं पर जवाब मांगा है। साथ ही स्टूडेंट सेल को भी नोटिस दिया गया है। जिसमें पूछा गया है कि जब छात्र फर्स्ट ईयर पास ही नहीं था तो उसे सेकंड ईयर की कक्षा में क्यों बिठाया गया। जानकारों का कहना है कि बिना मिली भगत के कोई भी फेल छात्र अगली क्लास में नही बैठ सकता।