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दुश्मन खेमे में था ‘शेरशाह’ का खौफ; Kargil युद्ध में शहीद विक्रम बत्रा की वीर गाथा

Kargil Vijay Diwas: 26 जुलाई को हर साल Kargil विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। ये दिन हर भारतीय के लिए गौरव का दिन है। 60 दिनों तक चले इस युद्ध में भारतीय सैनिकों ने बहादुरी के साथ लड़ते हुए पाकिस्तानी सैनिकों को अपनी सरजमीं से खदेड़ दिया था। इस युद्ध के दौरान सैकड़ों भारतीय सैनिकों ने अपने शौर्य और साहस का परिचय दिया था। उनमें एक नाम कैप्टन विक्रम बत्रा का भी था, जिसे कोई भारतीय नहीं भूल सकता। शेरशाह कहे जाने वाले विक्रम बत्रा का दुश्मन खेमे में काफी खौफ था। उनका नाम सुनते ही पाकिस्तानी सेना की रूह कांप जाती थी। प्वाइंट 5140 फतह करने के बाद जब कैप्टन बत्रा प्वाइंट 4875 की ओर बढ़े, तो इस दौरान उन्होंने अकेले 5 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था।

क्या है प्वाइंट 5140 की कहानी?
कारगिल युद्ध के दौरान कैप्टन विक्रम बत्रा के योगदान को कोई नहीं भूल सकता। उन्होंने प्वाइंट 5140 पर ‘दिल मांगे मोर’ के मंत्र के साथ तिरंगा लहराने में सफलता हासिल की थी। बताया जाता है कि इस प्वाइंट पर तिरंगा लहराना काफी मुश्किल था। हालांकि, उन्होंने अपने साहस का परिचय देते हुए अपने साथी जवानों के साथ मिलकर 20 जून को इस प्वाइंट पर तिरंगा लहरा दिया था।

इस प्वाइंट पर फतह हासिल करने के बाद ही वो कैप्टन बनाए गए थे। इसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने कैप्टन विक्रम बत्रा और उनकी टीम को आराम करने के लिए कह दिया था, लेकिन विक्रम बत्रा ने कहा-‘सर, दिल मांगे मोर’। वो रुकने को तैयार नहीं थे। इसके बाद उन्हें प्वाइंट 4875 पर फतह हासिल करने के लिए भेजा गया।

आसान नहीं था प्वाइंट 4875 पर तिरंगा फहराना
प्वाइंट 4875 पर पाकिस्तानी सैनिक 16 हजार फीट पर बैठकर भारतीय सेना के हर मूवमेंट पर नजर रख रहे थे। ऐसे में प्वाइंट 4875 पर तिरंगा फहराना आसान नहीं था। इसके बावजूद विक्रम बत्रा और उनकी टीम पूरी साहस के साथ आगे बढ़ी। इस दौरान उन्होंने 5 पाकिस्तानियों को मार गिराया। इसी बीच उनके एक साथी को गोली लगी। वो अपने साथी को वहां से उठाने के लिए गए और दूसरी तरफ से छिप कर पाकिस्तानी सेना ने उनपर हमला कर दिया।

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