Rajkot : हाई स्कूल परीक्षा में टॉपर बनी हीर, रिजल्ट देखे बगैर दुनिया को कहा अलविदा

Rajkot : 15 वर्षीया लड़की का नाम हीर घेटिया जिसने अपने रिजल्ट के महज चार दिन बाद इस दुनिया से कूच कर दिया। माह भर पूर्व गुजरात की इस होनहार लाडली बिटिया हीर को ब्रेन हेमरेज हुआ था।
Rajkot रायपुर। वह डॉक्टर बनकर पीड़ितों की मदद करना चाहती थी। हाल ही में उसने गुजरात दसवीं हाई स्कूल की परीक्षा में टाप किया था। 99.70 प्रतिशत अंक बटोरकर। परिवार खुश था। पर सिर्फ चार दिन तक। गणित में उसने 100 में से 100 अंक हासिल किए थे।
दरअसल उक्त परीक्षा में कामयाबी पाने वाली 15 वर्षीया लड़की का नाम हीर घेटिया जिसने अपने रिजल्ट के महज चार दिन बाद इस दुनिया से कूच कर दिया। माह भर पूर्व गुजरात की इस होनहार लाडली बिटिया हीर को ब्रेन हेमरेज हुआ था। मोरबी की की रहने वाली इस बिटिया को तब राजकोट स्थित एक प्रसिद्ध निजी अस्पताल में भर्ती कर गया। ऑपरेशन हुआ। ऑपरेशन के बाद हीर को डिस्चार्ज करके घर ले जाया गया। लेकिन उस फिर से सांस लेने में समस्या आने लगी। हृदय में तकलीफ शुरू हो गई। तब राजकोट की ट्रस्ट संचालित बीटी सावनी अस्पताल में दाखिल कराया गया
जिसमें ब्रेन की रिपोर्ट से मालूम पड़ा कि हीर का ब्रेन 80 से 90% काम करना बंद हो गया है। डॉक्टरों की 8 से 10 दिन की मेहनत के बाद भी हीर की हालत में सुधार नही हुआ और 15 मई को हीर का हार्ट भी काम करना बंद हो गया। उसे बचाया नही जा सका। 11 मई को उसका परीक्षा नतीजा आया था। जिसमें उसने टाप किया था। उसकी आकस्मिक मौत बाद परिवार वालों ने निर्णय लिया कि हीर की बॉडी व आर्गन को डोनेट (दान ) करना है। परिवार ने हीर की दोनों आंखे, दान करने के साथ उसका शरीर मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा शिक्षा पाने वाले भविष्य के चिकित्सकों को पढ़ाई में मदद मिले उस हेतु डोनेट किया।
परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। आज मोरबी राजकोट समेत पूरे गुजरात में जो इस घटना के बारे में जान-सुन रहा है। वह खुद को भावुक होने से रोक नही पा रहा है। उसके तमाम शिक्षक एवं पूरा स्कूल गम में डूब गया है। 10वीं हाई स्कूल की परीक्षा 99.70 प्रतिशत अंकों से पास कर टॉप रहने वाली हीर बिटिया ईश्वर को प्यारी हो गई है। उसका सपना था कि बड़ी होकर चिकित्सक बन पीड़ितों का इलाज करें। सेवा करें। मदद करें। ब्रेन के लगातार डेमेज होने, काम बंद करने से वह अपना रिजल्ट तक नही देख पाई थी। परिजनों ने दुख की इस घड़ी में, उसका शरीर दान कर मिसाल कायम की है।