Heart Transplant: पाकिस्तानी लड़की के सीने में धड़केगा ‘भारत का दिल’, बॉर्डर पार मिली नई जिंदगी
Heart Transplant:पाकिस्तान की आयशा और उनकी मां सनोबर ने भारतीय डॉक्टरों और भारत सरकार और ऐश्वर्याम ट्रस्ट को विशेष रूप से धन्यवाद दिया।
Heart Transplant रायपुर। पाकिस्तान की आयशा को अपने वतन में अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नही हो पा रही थी। उसका बचना मुश्किल हो गया था। घर वालों को भी उम्मीद की किरण दिखाई नही दे रही थी। तभी उन्हें किसी भारतीय पारिवारिक मित्रजन से पता चला कि चेन्नई में एमजीएम हेल्थ केयर अस्पताल में संभावना है। आयशा को ले घर वाले चेन्नई पहुंचे। एवं अस्पताल के निदेशक डॉक्टर के आर बालाकृष्णन एवं सह निदेशक डॉक्टर सुरेश राव से भेंट की। परामर्श लिया। जिन्होंने जांच बाद हृदय प्रत्यारोपण जरूरी बताया।
भारत और पाकिस्तान के बीच कितनी भी तनातनी क्यों न हो लेकिन जरुरत पड़ने पर भारत तनातनी से ऊपर उठकर पड़ोसी देश का साथ देता रहा। और नया जीवन भी। इसकी एक और बानगी सामने आई है, जिसकी पात्र बनी है पाक की युवती आयशा। सीमा पार कर भारत आई आयशा को चेन्नई के डॉक्टरों ने न सिर्फ नया जीवन दिया बल्कि मुफ्त में उसका इलाज भी किया। उन्नीस वर्षीय आयशा रशन पिछले कई साल से हृदय रोग से पीड़ित थीं। उनके किसी परिचित भारतीय परिवार ने उन्हें बताया कि आयशा का इलाज चेन्नई में हो सकता है।
चेन्नई के एमजीएम हेल्थकेयर हॉस्पिटल में इलाज चला
तब आयशा के परिवार ने चेन्नई के एमजीएम हेल्थकेयर अस्पताल में इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट के निदेशक डॉ. केआर बालाकृष्णन और सह-निदेशक डॉ. सुरेश राव से परामर्श मांगा। मेडिकल टीम ने सलाह दी कि हृदय प्रत्यारोपण आवश्यक है। दरअसल आयशा के हृदय पंप में रिसाव हो गया था।जिस पर उसे आयशा को एक्स्ट्रा कॉर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन (ईसीएमओ) पर रखा गया।
ऐश्वर्याम ट्रस्ट ने की मदद
एमजीएम हेल्थकेयर के डॉक्टरों ने दिल्ली के एक अस्पताल से लाए 69 वर्षीय ब्रेड डेड मरीज का दिल आयशा में ट्रांसप्लांट किया। आयशा की यह सर्जरी बिल्कुल निःशुल्क में की गई। दरअसल मरीज के परिवार ने अर्थाभाव के चलते हार्ट प्रत्यारोपण के लिए करीब 35 लाख रुपये वहन करने में असमर्थता जताईथी। । उनका कहना था कि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इसके बाद मेडिकल टीम ने परिवार को ऐश्वर्याम ट्रस्ट से जोड़ा जिसने वित्तीय सहायता प्रदान की। भारत में आयशा 18 महीने रही।
मौत के मुंह से जिंदा बाहर निकाला
आयशा की मां सनोबर ने कहा कि जब वह भारत देश बेटी को लेकर पहुंची, तो आयशा की दशा ठीक नही थी, उसके जिंदा रहने की उम्मीद मात्र 10 प्रतिशत रह गई थी। मैं “सच कहूं तो, भारत की तुलना में पाकिस्तान में कोई अच्छी आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं नहीं हैं। मुझे लगता है कि भारत बहुत मित्रवत देश है। जब पाकिस्तान में डॉक्टरों ने कहा किउनके यहां (वतन में ) कोई प्रत्यारोपण सुविधा उपलब्ध नहीं है तभी हमें किसी परिचित भारतीय परिवार ने डॉ. केआर बालाकृष्णन से संपर्क करने को कहा। आज आयशा एवं परिवार भारत सरकार, यहां के चिकित्सकों के प्रति दिल से आभार व्यक्त कर रहा है। आयशा अब सफल ऑपरेशन बाद स्वास्थ्य लाभ ले रही हैं।
चेन्नई के डाक्टरों का आभार व्यक्त किया
आयशा और उसकी मां सनोबर ने भारतीय डॉक्टरों और भारत सरकार और ऐश्वर्याम ट्रस्ट को विशेषतौर पर धन्यवाद दिया। सनोबर ने कहा कि डॉक्टरों ने हमें हर संभव मदद करने का भरोसा दिया। भारत में रहने और पैसों तक की व्यवस्था डॉक्टरों की टीम ने की। ट्रांसप्लांट से बहुत खुश हूं, मैं इस बात से भी खुश हूं कि एक पाकिस्तानी लड़की के अंदर एक भारतीय दिल धड़क रहा है। मैंने कभी सोचा नहीं था कि यह कभी संभव है। लेकिन ऐसा हुआ है। मां ने कहा कि आयशा एक नई आशा से भरी हुई है और वह फैशन डिजाइनर बनने का सपना देख रही है।