मुफ्त चावल, हितग्राही कि बचत पैसे पर सरकार को रखनी होगी नजर !

हितग्राही और बाजार पर नजर रखनी होगी सरकार को
गरीब कल्याण अन्न योजना को बढ़ाने के लिए सरकार हितग्राही और बाजार पर नजर रखनी होगी। उपरोक्त गारंटी अनुरूप गरीब परिवारों को अगले पांच बरस (2024 से 2028 तक) चांवल मुफ्त दिया जाएगा।
रायपुर न्यूज : विधानसभा चुनाव के दरमियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुर्ग चुनावी सभा को संबोधित करते हुए- मुफ्त राशन योजना को 5 साल और बढ़ाने का ऐलान किया था। जिसके बाद प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को बढ़ाने के लिए केंद्रीय कैबिनेट से भी मंजूरी दे दी गई थी। जिसके तहत प्रत्येक परिवार को 35 किलो राशन मुफ्त दिया जाता है। जबकि अब तक 1 रुपए की दर से एक परिवार को अधिकतम 35 किलो चावल दिया जाता था।
प्रदेश की विष्णु देव साय सरकार ने प्रदेश के गरीब परिवारों के हितार्थ बड़ा फैसला लिया। उपरोक्त गारंटी अनुरूप गरीब परिवारों को अगले पांच बरस (2024 से 2028 तक) चांवल मुफ्त दिया जाएगा। इस निर्णय से करीब 68 लाख परिवार लाभान्वित होंगे। ततसंबंध में खाद्य विभाग ने तमाम कलेक्टरों को निर्देश जारी कर दिया है। इस फैसले से अंतयोदय, प्राथमिकता, निशक्तजन और एकल निराश्रित श्रेणी के परिवार लाभान्वित होंगे।
प्रदेश सरकार हाल ही में चुनकर आई है। उसके चुने जाने का बड़ा श्रेय मोदी की गारंटी को दिया गया। पीएम मोदी ने दुर्ग में मुफ्त राशन 5 वर्षों तक देने का वादा किया था। विष्णु देव साय सरकार ने अब उस पर मुहर लगा दी है। प्रदेश का कोई भी नागरिक भूखा न सोए भूखा न रहे यह देखना बेशक राज्य सरकार के जवाबदेही है। ये अच्छी बात है, पर इसके साथ ही सरकार को ततसंबंध में सतत निगाह रखनी होगी कि इस योजना का दुरुपयोग न हो। यह आसान काम नहीं है। पर पार्टी अपने कार्यकर्ताओं, संगठन के माध्यम से यह सुनिश्चित कर सकती है। किया भी जाना चाहिए। आखिर मुफ्त चावल का पैसा सरकारी कोष से अदा करना पड़ेगा। थोड़ी मेहनत लगेगी पर सरकार प्रयास करे कि मुफ्त चांवल वितरण से हितग्राही के बचे पैसे कहां जा रहे हैं। किस बाजार में खर्च हो रहे हैं। उससे अर्थव्यवस्था का पता चलेगा। बाजार की स्थिति मालूम पड़ेगी। पर अच्छा यह भी होगा कि सरकार मुफ्त चांवल वितरण के दौरान बैंक पासबुक देखे कि हितग्राही कुछ बचत कर रहे हैं या नहीं। आखिर जीरो बैलेंस पर खाते मोदी सरकार ने ही खुलवाए थे। जिसका असर दिखा। लिहाजा उपरोक्त तरीका अपना सरकार एक तीर से दो निशाना साध सकती है। वह देख सकेगी कि चांवल से बचा पैसा कहां जा रहा है। दूसरा हितग्राही या जीरो बैलेंस वाला खाता धारक कुछ बचत कर रहा है, या नहीं। तीसरा बचत करने से बैंकों के पास सुरक्षित पूंजी बढ़ेगी। चूंकि मुफ्त राशन का पैसा सरकारी कोष से अदा किया जाता है, या भरपाई होती है। लिहाजा पाई-पाई का ध्यान रखने के साथ प्रत्येक किलो पर भी नजर रखनी होगी। अन्यथा घोटाला करने वाले, योजना धरातल पर आते ही जुगाड़ में लग जाते हैं। वास्तविक भूखा आदमी का पेट जब भरता है तब उसके मुख से दुआ निकलती है साथ ही ऊर्जावान होकर वह स्वयं काम करने निकलता है। उधर भरा पेट व्यक्ति मुफ्त पाकर डकार भी नहीं लेता बल्कि वह अपने शौक पूरी करता है।
सरकार हितग्राहियों को मुफ्त चांवल 35 किलो से बचा पैसा करीब 1000 रुपए एवं नारी वंदन योजना से जारी 1000 रुपए प्रति माह कुल 2 हजार रुपए का सदुपयोग करने जनता को (हितग्राही) जागरूक करें। दरअसल गरीब वर्ग, निम्न मध्यम वर्ग का बड़ा तबका उक्त मामले में बचा पैसा इधर-उधर, खर्च कर देता है। कुछ नशाखोरी में उड़ा देते हैं। फिर से सुझाव सरकार मुफ्त चांवल वितरण योजना पर नजर रखवाए।