रोज हो रहे हादसे को रोकने वृहद समिति की दरकार

० छुट्टी वाले दिनों में ज्यादा दुर्घटना
० शासन-प्रशासन कड़ा रुख अपनाए, लोग खुद जागरूक बनें

रायपुर। प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं एवं उनसे होने वाली मौतों में लगातार इजाफा हो रहा है। जिस पर नियंत्रण पाने शासन -प्रशासन को कड़ा रुख अपनाना होगा।

हर दूसरे-तीसरे दिन खबर आ रही है कि अमुक इलाके में ट्रक-कार, ट्रक बाइक, बस-कार, बस -बाइक, कार-जीप, बाइकों का आपस में टक्कर होने से इतने लोग मारे गए- घायल हुए। कई दुर्घटनाओं में परिवार के कुछ सदस्य तो कई में पूरा परिवार मारा जा रहा है। तो कुछ में रिश्ते-नातेदार या दोस्त- यार ! वहीं कुछ में स्कूली-कालेज विद्यार्थी या पैदल चलता या सड़क पार करता व्यक्ति तक मारा जाता है। रविवार को अमलेश्वर-पाटन मार्ग एवं कोरबा इलाके में दुर्घटना में 5 लोग मारे गए।

छत्तीसगढ़ में आमतौर पर छुट्टी (अवकाश) वाले दिनों में ज्यादा हादसे होते हैं। हालांकि वर्किंग डेज (कामकाजी दिनों) में भी दुर्घटनाएं कम नहीं है। बहरहाल हादसे, मौते या घायल होकर अपाहिज होने की खबरें दुखद, चिंतनीय हैं। हादसे उम्र,आयु, रिश्ते-नाते नहीं देखते वे जान लेते हैं या जीवन को अपाहिज बना देते हैं। चालक-परिचालक दोनों वर्गों को सतर्क होना चाहिए। उन्हें यातायात नियमों का ईमानदारी से पालन करने के साथ यह भी ध्यान रखना होगा कि देरी-भली घर- सुरक्षित पहुंचे।

शासन-प्रशासन को चाहिए कि ततसंदर्भ में नागरिकों, मनोवैज्ञानिक, लोक निर्माण विभाग में अधिकारियों, ट्रांसपोर्ट यूनियनों के प्रतिनिधियों, व्यापारिक संगठनों आदि को लेकर एक वृहद समिति बनाए। जो दुर्घटनाओं के तमाम वजहों पर चर्चा कर,आम सहमति से कुछ नियम बनाए। जिस पर अमल की जवाबदेही तय हो।

फिलहाल बारिश, बादलों, सड़कों पर फैली मिट्टियों, नशाकर गाड़ी चलाने वालों, तय सवारी संख्या से अधिक होने, हेलमेट अनिवार्य रफ्तार रहवासी क्षेत्रों, व्यवसायिक क्षेत्रों, हाट-बाजार, आउटरों पर 20 से 30 किलोमीटर प्रति घंटे, नाबालिगों के वाहन चलाने, हेडलाइट आधी काली करने आदि पर पुलिस, ट्रेफिक पुलिस,आरटीओ को कड़ाई से कदम उठाना चाहिए।

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