नगर निगम से, आवरा पशुओं के लिए गोठान की मांग

चाहूंओर गोठान, शेल्टर होम बने

रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश उच्च न्यायालय बिलासपुर के निर्देश बाद राजधानी में आवारा घुमंतू जानवरों की धर पकड़ होने से घुमंतू पशुओं की संख्या कुछ कम हुई है। पर कांजी हाउस, गोठान भर जाने से अब रखने की जगह की कमी हो गई है।

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राजधानी समेत प्रदेश भर में आवारा जानवरों के यत्र-तत्र भटकने, सड़कों-चौराहों पर कब्जा जमाने के चलते यातायात अक्सर बाधित होते रहता है। सब्जी बाजार परिक्षेत्र में तो इसका जमावड़ा नजर आता है। खैर एक जनहित याचिका पर छत्तीसगढ़ प्रदेश के उच्च न्यायालय, बिलासपुर ने खुद संज्ञान लेते हुए न्यायाधीशों की एक टीम भेजी थी। जो राजधानी का जायजा लेने कुछ दिनों पूर्व पहुंची थी। उसके ठीक 2 दिन पूर्व से नगर निगम, जिला प्रशासन, ट्रैफिक पुलिस के प्रयासों से आवारा जानवर काऊ कैप्चर टीम ने पकड़े थे। जिन्हें राजधानी के काजी हाउस समेत आसपास के गौठानों में भेजा गया था।

अब रायपुर नगर निगम ने स्वीकारा है की कांजी हाउस, गोठान भर गए हैं। राज्य शासन ततसंदर्भ में नए वृहद गोठान हेतु 25 एकड़ जमीन दे। गौरतलब हो कि ई. ग्लोबल न्यूज इन ने काफी पहले (जनहित याचिका से भी) सुझाया था कि वक्त आ गया है कि सरकार राजधानी की चाहूंओर तथा अन्य शहरों कस्बों में भी खाली शासकीय जमीन चिन्हित कर वहां वृहद पैमाने का गोठान बनाए। जहां गाय, बैल रखा जाए। खर्च बढ़ता है तो नीलम करें। यानी गोद दें। गोद लेने वाले परिवारजनों (मलिक) को दूध, दही, घी, पनीर, मक्खन आदि उत्पाद उत्पाद मुफ्त दे। इससे एक नया माहौल पैदा होगा। गले में रेडियम युक्त पट्टा बांध भर देने से समस्या नहीं सुलझेगी।

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