Gayatri Jayanti 2024: गायत्री पूजा से पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं, जानें महत्व और पूजा विधि तथा मंत्र जाप का फल

Gayatri Jayanti 2024: यह भी माना जाता है कि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन ऋषि विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र को आम जनता को समर्पित किया था, इसलिए इस दिन गायत्री माता की पूजा करके गायत्री जयंती मनाई जाती है।
Gayatri Jayanti 2024 रायपुर। मान्यताओं के अनुसार, देवी गायत्री ब्रह्मा के सभी अभूतपूर्व गुणों की अभिव्यक्ति हैं। उन्हें हिंदू त्रिदेवों की देवी के रूप में पूजा जाता है। देवी गायत्री को सभी देवताओं की माता और देवी सरस्वती, देवी पार्वती, देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। गायत्री माता को सभी वेदों की देवी और वेद माता के नाम से भी जाना जाता है। गायत्री माता के जन्मोत्सव को गायत्री जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह भी माना जाता है कि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन ऋषि विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र को आम जनता को समर्पित किया था, इसलिए इस दिन गायत्री माता की पूजा करके गायत्री जयंती मनाई जाती है। भक्त गायत्री माता की विशेष पूजा और गायत्री मंत्र का जाप करके इस पर्व को मनाते हैं।
ज्येष्ठ गायत्री जयंती 17 जून को
ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि का प्रारंभः 17 जून 2024 को सोमवार सुबह 04:43 बजे
ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि समापनः 18 जून 2024 को मंगलवार सुबह 06:24 बजे तक
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥
अर्थ: हम ईश्वर की महिमा का ध्यान करते हैं, जिसने इस संसार को उत्पन्न किया है, जो पूजनीय है, जो ज्ञान का भंडार है, जो पापों और अज्ञान की दूर करने वाला है, वह हमें प्रकाश दिखाए और हमें सत्य पथ पर ले जाएं।
माता गायत्री की पूजा का महत्व
मां गायत्री की आराधना करने से बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। जीवन में सकारात्मकता आती है। गायत्री मंत्र का जाप करने वाले व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है और उनके आशीर्वाद से भक्त के चारों ओर एक सुरक्षा कवच बन जाता है, जिससे कोई भी बुरी शक्ति भक्त को नुकसान नहीं पहुंचा पाती। गायत्री मंत्र का जाप करने से मनुष्य की आध्यात्मिक चेतना का पूर्ण विकास होता है। इस मंत्र का श्रद्धापूर्वक जाप करने से सभी प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं।
ऐसा है देवी गायत्री का स्वरूप
शास्त्रों के अनुसार, मां गायत्री ब्रह्मा, विष्णु और महेश का ही एक विशेष स्वरूप हैं। इसी कारण से इन्हें त्रिमूर्ति माना जाता है और पूरी श्रद्धा के साथ इनकी साधना की जाती है। कहा जाता है कि इनके पांच मुख और दस हाथ हैं। इनके पांच मुखों में से चार मुख चारों वेदों के प्रतीक हैं, जबकि देवी मां का पांचवां मुख सर्वशक्तिमान शक्ति होने का संदेश देता है। गीता में देवी मां के दस हाथों को भगवान विष्णु का प्रतीक बताया गया है। इन्हें त्रिदेवों की अधिष्ठात्री देवी भी कहा गया है।
गायत्री जयंती पूजन विधि
1. इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान ध्यान से निवृत्त हों
2. देवी मां के निमित्त व्रत और पूजा का संकल्प लें और मां गायत्री की प्रतिमा की स्थापना करें।
3. इसके बाद मां गायत्री के चरणों में जल अर्पित करें।
4. मां गायत्री को पुष्प और माला अर्पित करें, हल्दी या चंदन का तिलक लगाएं।
5. घी का दीपक और धुप अर्पित करें, अब गायत्री चालीसा का पाठ करें।
6. संभव हो तो गायत्री मंत्र का पाठ 108 बार जप करें।
7. मां गायत्री की आरती करें, उनका भोग लगाएं और अपनी पूजा में जाने अनजाने हुई भूल की क्षमा मांगें।