गणेशोत्सव, समितियां- पुलिस-प्रशासन अलर्ट रहें … !

निर्धारित समय का परिपालन हो-
रायपुर। गणेश चतुर्थी पर विधि-विधान पूर्वक बप्पा को विराजने के उपरांत गणेशोत्सव समितियां अब थोड़ा राहत-महसूस करते हुए- इंटीरियल साज-सजावट एवं कार्यक्रमों हेतु जुट जाएगी। पर इसी के साथ पुलिस-प्रशासन द्वारा डीजे एवं दीगर ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग के लिए निर्धारित अवधि रात्रि 10:30 बजे के बाद भी गतिविधियां जारी है। जिस पर सख्ती से परिपालन नहीं करने पर घटनाओं का अंदेशा रहता है।
राजधानी समेत प्रदेश के तमाम शहरों- कस्बों में गणेशोत्सव समितियाें ने छोटे -मंझोले,बड़े- वृहद आकार की प्रतिमाएं बप्पा की विराजी हैं। तमाम स्थानों पर लगाए गए पंडालों में उत्साह-उमंग एवं धार्मिक माहौल है। अच्छी बात है। पर पुलिस-प्रशासन को अलर्ट रहना होगा कि उत्साह-उमंग अति में न पहुंचे। देखा गया है कि ज्यादातर छोटी-मंझोली, सामान्य स्तर वाली गणेशोत्सव समितियाें में किशोरावस्था- युवावस्था वाले कार्यकर्ता ज्यादा होते हैं। उन पर नियंत्रण के लिए बड़े- बुजुर्ग अनुभवी नहीं होते जिससे कि ऐसे अल्पायु कार्यकर्ता-उत्साह, मनोरंजन के नाम पर अति उत्साह दिखाते हैं। वे देर रात-मध्य रात्रि बाद 1-2 बजे तक पंडाल पर रहकर मस्ती करते हैं। उपरोक्त स्थितियों का गलत फायदा दीगर मोहल्ले-कालोनियों के आसामाजिक तत्व उठाते हैं। जो देर रात- घूमते फिरते हैं। ऐसे में कई बार पंडाल स्थल पर कार्यक्रम के दौरान विवाद की या तनातनी की स्थिति बन जाती है। तो कई बार पुरानी रंजिश या दीगर कारणों से मारपीट की घटनाएं, चाकू बाजी तक हो जाती है। नशा करके भी आसामाजिक तत्व पंडाल पहुंच जाते हैं।
देर रात कार्यक्रम देखकर या गणेश दर्शन कर घर लौटती युवतियों-महिलाओं से छेड़छाड़ की घटनाएं हो जाती है। उपरोक्त अन्देशाओं के मददेनजर आम जनों को स्वयं अलर्ट (सावधान) रहते हुए पुलिस-प्रशासन को भी सख्ती से नियमों का पालन कराना चाहिए। पेट्रोलिंग वाहन यह सुनिश्चित करें कि वार्ड के तमाम गणेश पंडालों में विविध मनोरंजक, धार्मिक कार्यक्रम समय सीमा में खत्म हो जाए। समिति के ज्यादा सदस्यों की भी उपस्थिति पंडालों पर देर रात न हो सीसीटीवी दुरुस्त हो। इस दौरान देर रात चलते ई रिक्शा पर भी नजर रखी जाए।
(लेखक डॉ. विजय )