पाक चुनाव में बिलावल ने नवाज की कमजोर नस पकड़ रखी हैं

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पाकिस्तान चुनाव में धांधली के आरोपों के बीच भी नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन बहुमत नहीं जुटा पाई। इसका सबसे ज्यादा फायदा पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) उठा रही है।
पाकिस्तान : पाकिस्तान चुनाव में धांधली के आरोपों के मध्य भी नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन बहुमत नही जुटा पाई। इसका फायदा सबसे ज्यादा पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) उठा रही। जिसके अध्यक्ष बिलावल भुट्टो मंजे हुए राजनीतिज्ञ पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की कमजोर नस थामें हुए हैं।
पीएमएल-एन और पीपीपी की गठबंधन सरकार का गठन
फिलहाल पाक में माना जा रहा है कि व्यापक चुनौतियों एवं पीपीपी के हीला-हवाला के मध्य पीएमएल-एन और पीपीपी की गठबंधन सरकार बन जाएगी। जिसमें मुत्ताहिद कौमी मूवमेंट एम क्यू एम तीसरे साथी होगे। दरअसल उक्त तीनों दल यह नही चाहते कि सत्ता में पीटीआई आए। उन्हें पीटीआई प्रमुख पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के जेल में होने के बावजूद डर है कि अगर पीटीआई समर्थित निर्दलीय प्रत्याशियों ने सत्ता हथिया ली तो यह नवाज शरीफ, बिलावल भुट्टो दोनों के लिए सिरदर्द हो जाएगा। संभव है कि नवाज को इमरान की पार्टी पुराने प्रकरणों पर जेल भेज दे।
नवाज शरीफ तीन बार पीएम रह चुके हैं
नवाज शरीफ तीन बार पीएम रह चुके हैं। स्व निर्वासन के वर्षों बाद वे वतन लौटे हैं। इस बीच बाहर होने से नवाज शरीफ जैसा नेता तक अंदाज नही लगा पाया कि इमरान ने महज कुछ बरसों में अपनी जमीन इतनी मजबूत कर ली है। पीटीआई की जड़ इतनी गहराई पर जा चुकी है कि उसके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध, दल का चुनाव चिन्ह छीनने, इमरान के जेल में होने के बावजूद उसके समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार इतनी बड़ी संख्या में चुनाव जीत कर सामने खड़े हो जाएगे। नवाज के प्रयासों के बाद भी जीते हुए निर्दलीय टूट नही रहें हैं।
बिलावल नवाज के लिए गले की हड्डी बन चुके हैं
परंतु इस स्थिति का सर्वाधिक बेजा फायदा पीपीपी के बिलावल भुट्टो एवं उनके पिता पूर्व राष्ट्रपति आसिफ जरदारी उठा रहें हैं। आसिफ फिर से राष्ट्रपति बनने का मौका तलाश चुके हैं तो वही बिलावल नवाज की कमजोर नस (बहुमत से पीछे) पकड़ रखे है। सच मायनों में बिलावल नवाज के लिए गले की हड्डी बन चुके हैं। अन्यथा नवाज शरीफ जैसा मंजा हुआ राजनीतिज्ञ उन्हें (बिलावल) कतई इतना भाव नही देता। इन सबके बावजूद बिलावल नवाज के फार्मूले को नकार रहे है। जिसमें नवाज ने पहले स्वयं 3 वर्ष बाद में पीपीपी को 2 वर्ष पीएम पद देने की बात रखी है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार पीपीपी अपने सारे हित साध लेने के बाद नवाज शरीफ से समझौता कर लेगी। उधर पीटीआई ने सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल (एसआईसी) से गठबंधन करने की घोषणा कर नवाज का सिरदर्द बढ़ा दिया है। पाक फौज चाहती है कि पीएमएल-एन और पीपीपी मिलकर सरकार बनाए। वजह सेना को नवाज से ज्यादा डर इमरान से है। फौज के हित भी नवाज के रहते सधेंगे।