80 हजार प्लाट-मकान की रजिस्ट्री बिना रेरा नंबर के ..!
राज्य में छत्तीसगढ़ भू संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) का गठन जब हुआ था तब माना जाने लगा था कि लोगों को विभिन्न स्थानों पर बिल्डरों, सोसाइटी से प्लॉट या घर बनाने या मकान लेने पर आने वाली परेशानियां दूर होगी।
रायपुर न्यूज : लापरवाही की भी हद होती है पर टीएनसीपी और पंजीयन विभाग को शायद इससे कोई लेना-देना नही।नतीजन निर्दोषों को समस्याओं, परेशानियाें, चक्कर पर चक्कर काटने के साथ आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।
छत्तीसगढ़ भू संपदा विनियामक प्राधिकर (रेरा) का गठन
राज्य में छत्तीसगढ़ भू संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) का गठन जब हुआ था तब माना जाने लगा था कि लोगों को विभिन्न स्थानों पर बिल्डरों, सोसाइटी से प्लॉट या घर बनाने या मकान लेने पर आने वाली परेशानियां दूर होगी। बिल्डरों, सोसाइटियों की मनमर्जी पर लगाम लगेगी।
टीएनसीपी परियोजना में देश पंजीकरण संख्या दर्ज करना अनिवार्य है-
दरअसल रेरा के गठन के वक्त अलग-अलग आदेश जारी कर स्पष्ट कर दिया गया था। टीएनसीपी से कहा गया था कि वह मंजूर किए गए परियोजनाओं जानकारी अतिआवश्यक तौर पर रेरा को देगी। इसी तरह पंजीयन विभाग को निर्देशित-आदेशित था कि किसी भी टीएनसीपी प्रोजेक्ट में देश पंजीयन क्रमांक दर्ज करना अनिवार्य है। इसके बगैर रजिस्ट्री नही होगी।
80 हजार से ज्यादा प्लॉट, मकान बिना रेरा नंबर के रजिस्टर्ड
लेकिन हद हो गई 157 परियोजनाओं के 80 हजार से अधिक प्लॉट, मकान की रजिस्ट्री बिना रेरा नंबर के पंजीयन विभाग ने कर दी। यह लापरवाही (गड़बड़ी) पिछले 4 वर्षों में रायपुर, बिलासपुर, कवर्धा, कांकेर में हुई है। बताया जा रहा है कि रेरा ने 157 परियोजनाओं में विकास अनुज्ञाओं की जांच की तो पाया कि 157 परियोजनाओं टीएनसीपी अप्रूवल लेने के बाद भी रेरा में पंजीकृत नही थे। जबकि स्पष्ट नियम है कि टीएनसीपी कोई भी प्रोजेक्ट इम्प्रूव होने के ठीक बात तुरंत इसकी जानकारी देश को देगा। जिसे रेरा अपनी वेबसाइट पर अपलोड करता है। इसे पंजीयन विभाग या आम लोग कभी भी देख सकते हैं। परंतु हद तब
हो गई जब पता चला कि पंजीयन विभाग के ऑनलाइन सिस्टम में ऐसा प्रावधान ही नही किया गया था कि प्रोजेक्ट में रेरा नंबर डाले बिना रजिस्ट्री नही हो।
अगर प्रोजेक्ट रेरा में रजिस्टर्ड है और बिल्डर या सोसाइटी मना कर देती है तो रेरा में शिकायत दर्ज करायी जा सकती है-
रेरा का गठन का उद्देश्य उक्त लापरवाहियों ने खूंटी पर टांग दिया। आमजन हो या खास सभी परेशान। दरअसल बिल्डर या सोसाइटियों ग्राहक से एग्रीमेंट या ब्रोशर में किए गए वादों से मुकर जाते हैं। जिससे विवाद की स्थिति बनती है। अगर रेरा से रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट है और बिल्डर या सोसाइटी मुकरता है तो उसकी शिकायत रेरा में की जा सकती है। जिस पर रेरा फौरन जांच कर बिल्डर या सोसायटी का पंजीयन नंबर निरस्त कर जुर्माना भी लगा सकता है। पर दुर्भाग्य सैकड़ो प्रोजेक्ट में यह नही हुआ। जिससे लाखों पैसा लगाने वाले अब खुद को बिल्डर, सोसायटी, पंजीयन विभाग, टीएनसीपी से ठगा महसूस कर रहें हैं। बहरहाल मुख्य पंजीयक का कहना है कि एनजीडीआरएस सिस्टम के आने से सभी तरह की गड़बड़ी पर अंकुश लगेगा। पुराने सिस्टम में निगरानी तंत्र कमजोर था।