Atmospheric Flood : ‘वायुमंडलीय नदिया’ ला रही भारत में भंयकर बाढ़, हर घंटे बढ़ता जा रहा है नदियों का जलस्तर
Atmospheric Flood : पिछले कुछ हफ्तों में भारी बारिश व बाढ़ के कारण भारत के कई हिस्से प्रभावित हुए हैं। इसके चलते कई लोगों की जान गई है और हजारों को हटाना पड़ा है।
Atmospheric Flood रायपुर। पिछले कुछ हफ्तों में भारी बारिश व बाढ़ के कारण भारत के कई हिस्से प्रभावित हुए हैं। इसके चलते कई लोगों की जान गई है, हजारों को विस्थापित होना पड़ा है। दरअसल, वैज्ञानिकों की माने तो जलवायु परिवर्तन ने मानसून की बारिश को अनियमित बना दिया है, मसलन लंबे समय तक सूखा रहने के बाद किसी जगह पर अचानक कम समय में मूसलाधार बारिश हो जाना।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते नमी में बहुत ज्यादा वृद्धि साथ एक किस्म का तूफान हालत को और अधिक बिगड़ रहा है। इस तूफान को ‘एटमॉस्फेरिक रिवर’ या ‘वायुमंडलीय नदी’ के नाम से जाना जाता है।आसमान में बनने वाले इन तूफानों को फ्लाइंग रिवर्स या वायुमंडलीय नदियां भी कहते हैं, जो पानी के भाप वाले रिबन बैंड जैसे होते हैं, जो गर्म समंदर में होने वाले वाष्पीकरण से बनते हैं और अदृश्य होते हैं। ये भाप के वायुमंडल के निचले हिस्से में एक पट्टी की तरह बनाते हैं,जो उष्ण कटिबंधीय इलाकों के ठंडे प्रदेशों की ओर बढ़ता है और बारिश या बर्फ के रूप में गिरता है।
यह किसी इलाके में बाढ़ या भयावह बर्फीला तूफान लाने के लिए पर्याप्त विनाशकारी होता है। ये फ्लाइंग रिवर्स (हवाई नदी) कुल जल वाष्प का 90% हिस्सा लेकर चलती है और पृथ्वी के मध्य-अक्षांश के ऊपर से होकर गुजरती हैं। औसतन इनमें अमेजन नदी में आमतौर पर बहने वाले पानी का दुगुना पानी होता है। अमेज़न नदी दुनिया की सबसे बड़ी नदी है। अध्ययन में शामिल आईआईटी और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की टीम ने यह भी पाया है कि 1985 और 2020 के बीच मानसून के सीजन में भारत के 10 में 7 सबसे भयावह बाढ़ों का कारण ये ‘वायुमंडलीय नदिया’ रही हैं।