बच्चों-अभिभावकों और शिक्षकों को पीएम मोदी की नसीहत ..!
परीक्षा पे चर्चा के सातवें संस्करण में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि माता-पिता को बच्चों के रिपोर्ट कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड बनाने से बचना चाहिए।
परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सालाना लोकप्रिय कार्यक्रम परीक्षा पे चर्चा के सातवें संस्करण में कहा कि माता-पिता को बच्चों के रिपोर्ट कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड बनाने से बचना चाहिए। इस कार्यक्रम में शामिल होने सवा दो करोड़ विद्यार्थियों ने पंजीकरण कराया था।
अभिभावकों से कहा कि बच्चे की तुलना दूसरों से नहीं की जानी चाहिए-
महज दो माह बाद वार्षिक परीक्षाएं देने जा रहे विद्यार्थियों से चर्चा के बीच प्रधानमंत्री ने कहा कुछ अभिभावक,जो अपने जीवन में बहुत सफल नहीं रहे, वे बच्चों के रिपोर्ट कार्ड को ही अपना विजिटिंग कार्ड बना लेते हैं। किसी से मिलते हैं तो बच्चों की कहानी सुनाने लगते हैं। उन्हें एक बच्चे की तुलना दूसरे से नही करनी चाहिए। यह रनिंग कमेंट्री बच्चों के भविष्य को नुकसान पहुंचा सकती है। इसके बजाय उन्हें (अभिभावक) बच्चों को दबाव के सामने न झुकने में सक्षम बनाना चाहिए।
बच्चों, अभिभावकों, शिक्षकों को दी सलाह-
पीएम मोदी यहां बच्चों एवं अभिभावकों दोनों की चिंता कर रहे हैं। वे दोनों को नसीहत देते हैं। वे अभिभावकों को कहना चाह रहे है या कि बता रहें हैं कि बच्चों पर अनावश्यक दबाव न डाले। न ही अपेक्षा पाले कि वे पढ़ाई-लिखाई में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें।न ही उनकी तुलना अन्य बच्चों (खासकर सफल) से करें। इसके साथ ही पीएम ने कहा है कि बच्चों के रिपोर्ट कार्ड को अभिभावकों को अपना विजिटिंग कार्ड बनाने से बचना चाहिए। यानी वे अभिभावकों को आगाह कर रहें हैं कि बच्चे अगर कम-ज्यादा अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो उन्हें अपना परिचय पत्र न बनाए। यानी बच्चों का प्रदर्शन अभिभावकों की पहचान पत्र नही है। इसे दिल-दिमाग पर न लेने का अप्रत्यक्ष सुझाव है। दूसरे अर्थों में अभिभावकों से बच्चों के प्रदर्शन पर तनाव लेने से बचने की सलाह दी है। खासकर उन अभिभावकों से जो अपने जीवन में कतिपय कारणों से बहुत सफल नही हो पाते तो उसकी पूर्ति बच्चों के प्रदर्शन में देखने लगते हैं। जो उचित कतई नही है।
बच्चों को अवसाद से बचना चाहिए-
पीएम ने बच्चों की तुलना अन्य बच्चों से भी न करने की सलाह दी है। जिसके पीछे बच्चों को अवसाद से बचाना है। इतना ही उन्होंने शिक्षकों से पूछा है कि क्या कभी कोई विद्यार्थी तकलीफ के समय आपको फोन करता है ? क्योंकि उसे (विद्यार्थी) लगता है कि उसकी जिंदगी में आपका (शिक्षक) विशेष स्थान नही है। बकौल पीएम मोदी जिस दिन सिलेबस से आगे बढ़कर उससे नाता जोड़ेंगे वह अपने मन की बात आपसे जरूर करेगा। पीएम ने शिक्षकों से पूछा कि पुराने विद्यार्थी जो पढ़ लिखकर बड़े हो गए होंगे। उनकी शादी हो गई होगी कितनों ने अपनी शादी में याद किया जवाब आया 99% नहीं किया याद। पीएम कहते हैं आपको विद्यार्थियों से सिलेबस से आगे जुड़ाव रखना होगा जो बच्चों को सार्वजनिक जीवन में काम आएगा।
पीएम ने कहा कि रोजाना किताबें, पुस्तकें और समाचार पत्र पढ़कर अपनी लेखन शैली में सुधार करना चाहिए –
पीएम के उक्त प्रसिद्ध सालाना कार्यक्रम परीक्षा पे चर्चा के मददेनजर देखे तो वे बच्चों, अभिभावकों समेत शिक्षकों को भी प्रेरित करते दिखाई देते हैं। जुड़ाव शब्द पर जोर देकर वे विद्यार्थी शिक्षक दोनों के हित की बात करते हैं। तो वहीं अभिभावकों को नसीहत देते हैं कि सदैव श्रेष्ठता की कामना बच्चों से न करें और न ही अपने प्रतिष्ठा से बच्चों के प्रदर्शन की तुलना करें। पीएम ने बच्चों से कहा कि स्मार्टफोन, लैपटॉप के दौर में कम से कम 50% समय हाथ से लिखने में लगाएं। इससे परीक्षा में लिखने का अभ्यास होगा साथ ही वाक्य, विन्यास, व्याकरण भी सुधरेगा। साहित्य में रूचि बढ़ेगी। स्मार्टफोन, लैपटॉप पर पढ़ने के अलावा रोजाना पुस्तक, किताब, अखबार पढ़कर भी अपनी लेखन शैली दुरुस्त करने का अप्रत्यक्ष सुझाव पीएम दे रहें हैं।