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Pro. Rajat Moona : ईवीएम हैकिंग -छेड़छाड़ असंभव -प्रो. रजत मूना

Pro. Rajat Moona :

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Pro. Rajat Moona : ईवीएम में कोई रिसीवर, पोर्ट-इंटरनेट आदि नहीं है

Pro. Rajat Moona : ईवीएम तैयार करने वाली टीम के सदस्य प्रोफेसर रजत Pro. Rajat Moona मूना का कहना है कि ईवीएम में न कोई रिसीवर, न कोई पोर्ट होता, इंटरनेट भी नहीं रहता, हैंगिंग- छेड़छाड़ नामुकिन हैं।

प्रोफेसर रजत मूना ने एक न्यूज़ पेपर से चर्चा के दौरान स्पष्ट किया कि ईवीएम से छेड़छाड़ संभव नहीं है। इसे मॉडिफाई भी नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट तक ने इसे सर्टिफाई किया है। बकौल प्रोफेसर मूना इसे हैंक करना नामुमकिन है। इसके सॉफ्टवेयर हार्डवेयर में बदलाव संभव नहीं हैं।वाई-फाई या ब्लूटूथ डिवाइस के माध्यम से भी छेड़छाड़ संभव नहीं है। प्रोफेसर मूना ने आगे कहा कि निर्माता तक हेरफेर नहीं कर सकते। सुरक्षा में लेकर निर्माता स्तर पर बहुत कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल होते हैं।

चुनाव आयोग अपने डाटाबेस से पता लगा सकता है कि कौन सी ईवीएम खान हैं। प्रो. मूना ने न्यूज़ पेपर से चर्चा में आगे कहा है कि जैसे ही कोई मशीन खोलने की कोशिश करता है तो छेड़छाड़ का पता लगाने वाला फीचर ईवीएम को निष्क्रिय कर देता है। स्ट्रांग रूम में उचित सुरक्षा के तहत डबल लॉक सिस्टम में ईवीएम रखा जाता है। समय-समय पर जांच होती है। अधिकारी स्ट्रांग रम खोलते नहीं बल्कि यह देखते हैं कि ताला सही स्थिति में है कि नहीं अनाधिकृत व्यक्ति किसी भी समय ईवीएम तक नहीं पहुंच सकता।

ईवीएम पूर्ण रूपेण स्वदेशी है। इसे सार्वजनिक उपक्रमों में तैयार किया जाता है। आउट सोर्स नहीं किया जा सकता। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड बेंगलुरु और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड हैदराबाद सॉफ्टवेयर प्रोग्राम कोड इन दोनों कंपनियों द्वारा इन हाउस में लिखा जाता है। प्रोफेसर मूना इन दिनों आईआईटी, गांधीनगर में डायरेक्ट है। वे पूर्व में भिलाई आईआईटी के डायरेक्टर रह चुके।

(लेखक डॉ. विजय)

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