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ECI ने राहुल गांधी की मांग ठुकराई, वोटिंग से CCTV फुटेज सार्वजनिक करने से इनकार

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चुनाव आयोग ने मतदान केंद्रों की वेबकास्टिंग फुटेज सार्वजनिक करने की विपक्ष की मांग को खारिज किया है। आयोग ने इसे मतदाताओं की निजता और सुरक्षा का गंभीर उल्लंघन बताया। जानें पूरी खबर।

ECI Webcasting Controversy: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव-2024 के दौरान विपक्षी दलों (राहुल गांधी) द्वारा मतदान केंद्रों की वेबकास्टिंग फुटेज सार्वजनिक करने की मांग पर चुनाव आयोग ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। आयोग ने इस मांग को मतदाताओं की निजता और सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए खारिज कर दिया है।

चुनाव आयोग (ECI) ने शनिवार, 21 जून को एक बयान जारी कर कहा, मतदान केंद्रों पर लगे CCTV कैमरों और वेबकास्टिंग की फुटेज को सार्वजनिक करना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और 1951 के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के खिलाफ है।

आयोग के अधिकारियों ने दावा किया कि इस तरह की फुटेज से यह पता लगाया जा सकता है कि किस मतदाता ने मतदान किया और किसने नहीं। इससे मतदाताओं पर सामाजिक, राजनीतिक या मानसिक दबाव डाला जा सकता है।

आयोग के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, फुटेज सार्वजनिक करने से असामाजिक तत्व मतदाताओं को पहचान सकते हैं। इससे उनकी सुरक्षा और लोकतांत्रिक अधिकारों को खतरा हो सकता है।

45 दिनों तक सुरक्षित रहती है रिकॉर्डिंग
चुनाव आयोग ने बताया कि मतदान प्रक्रिया की वीडियो फुटेज को केवल 45 दिनों तक सुरक्षित रखा जाता है। यह अवधि इसीलिए तय की गई है क्योंकि किसी भी चुनाव को चुनौती देने के लिए अधिकतम यही समय निर्धारित है।

यदि इस अवधि के भीतर चुनाव याचिका दायर की जाती है, तो फुटेज को अदालत में प्रस्तुत किया जा सकता है। लेकिन यह आंतरिक प्रबंधन का विषय है, न कि सार्वजनिक वितरण का।

विपक्ष की मांग और पृष्ठभूमि
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने महाराष्ट्र चुनावों के दौरान शाम 5 बजे के बाद मतदान केंद्रों की वेबकास्टिंग फुटेज सार्वजनिक करने की मांग की थी। उनका कहना था कि इससे चुनाव की पारदर्शिता साबित होती है और कथित धांधलियों पर रोक लगती है। हालांकि, चुनाव आयोग का कहना है कि यह मांग सिर्फ लोकतंत्र की रक्षा के नाम पर की जा रही है, लेकिन इसका वास्तविक उद्देश्य राजनीतिक लाभ उठाना है।

दिसंबर 2023 में नियम में हुआ था बदलाव
पिछले साल दिसंबर में केंद्र सरकार ने चुनाव नियमों में बदलाव कर CCTV फुटेज, वेबकास्टिंग और अन्य वीडियो रिकॉर्डिंग को सार्वजनिक निरीक्षण की पहुंच से बाहर कर दिया था। इसका मकसद चुनावी रिकॉर्ड का दुरुपयोग रोकना बताया गया था।

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